Aniruddh Singh
7 Oct 2025
मु्ंबई। भारत की तीसरी सबसे बड़ी निजी बैंकिंग कंपनी कोटक महिंद्रा की वैश्विक इकाई कोटक इंटरनेशनल को संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) से खुदरा निवेशकों को निवेश फंड और पोर्टफोलियो बेचने का लाइसेंस मिल गया है। यह उपलब्धि हासिल करने वाली कोटक पहली भारतीय कंपनी है। अब तक भारतीय कंपनियां केवल बड़े निवेशकों, वेल्थ मैनेजर्स या बीमा प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से ही यूएई में निवेश जुटाती थीं। इस नये लाइसेंस के साथ कोटक सीधे खुदरा निवेशकों को टारगेट कर सकेगी और लगभग 500 डॉलर (करीब 40,000 रुपए) की न्यूनतम राशि से निवेश का अवसर उपलब्ध कराएगी। कोटक इंटरनेशनल ने कहा है कि वह 2025 की अंतिम तिमाही तक यूएई में अपना पहला भारत केंद्रित खुदरा फंड लॉन्च करेगी। कंपनी का मानना है कि भारत की आर्थिक कहानी बेहद व्यापक और विविधतापूर्ण है-यहां बड़ी और युवा आबादी है, कामकाजी वर्ग मजबूत है और तेज विकास की संभावनाएं लगातार बनी हैं। यही कारण है कि विदेशी निवेशकों के लिए भारत आकर्षक गंतव्य बन रहा है।
ये भी पढ़ें: रूस और चीन दोनों के नजदीक जा रहा भारत, उसे अत्याधुनिक सैन्य तकनीक देना खतरनाक : पीटर नवारो
इस फैसले का सबसे बड़ा महत्व यह है कि यूएई का कर ढांचा निवेशकों के लिए बेहद अनुकूल है। वहां, व्यक्तिगत आयकर या पूंजीगत लाभ कर नहीं लगाया जाता। यानी, यदि कोई व्यक्ति फंड में निवेश करता है और उससे लाभ कमाता है, तो उसे उस पर टैक्स नहीं देना पड़ता। यह वैश्विक निवेशकों के लिए बड़ा आकर्षण है और कोटक इसी लाभ का इस्तेमाल करते हुए खुदरा निवेशकों तक पहुँचना चाहता है। यूएई में भारतीय समुदाय की संख्या सबसे अधिक है। लगभग 35% आबादी भारतीयों की है और वे दुबई रियल एस्टेट में सबसे बड़े विदेशी निवेशक भी हैं। साल 2024 में भारतीयों ने दुबई में 35 अरब दिरहम (करीब 9.5 अरब डॉलर) की संपत्ति खरीदी थी। ऐसे में कोटक की रणनीति भारतीय प्रवासी समुदाय को आकर्षित करने की है। कंपनी का कहना है कि उसका लक्ष्य केवल भारतीयों तक सीमित नहीं है, बल्कि वह पूरे यूएई में विविध निवेशकों को जोड़ना चाहती है।
कोटक की यह पहल भारत और यूएई के बीच बढ़ती वित्तीय नजदीकियों के बीच हुई है। जुलाई 2025 में पीएम नरेंद्र मोदी ने सातवीं बार यूएई का दौरा किया था, जहां कई अहम समझौते हुए। इनमें भारत के डिजिटल पेमेंट सिस्टम को यूएई से जोड़ना और द्विपक्षीय व्यापार को मजबूत करना भी शामिल है। इस पृष्ठभूमि में कोटक का खुदरा निवेशकों के लिए लाइसेंस हासिल करना दोनों देशों के बीच वित्तीय सहयोग को और गहरा बनाएगा। इस कदम से कोटक इंटरनेशनल के लिए नए अवसर खुलेंगे। पहले कंपनी केवल उच्च-शुद्ध-मूल्य (एचएनआई) निवेशकों और संस्थागत ग्राहकों पर निर्भर थी, लेकिन अब वह आम निवेशकों को भी अपनी योजनाओं में शामिल कर सकेगी। खुदरा निवेशकों के पास भी अब भारतीय बाजार में अप्रत्यक्ष रूप से निवेश करने का आसान और कानूनी रास्ता होगा। संक्षेप में, कोटक का यह लाइसेंस न केवल भारतीय वित्तीय क्षेत्र के लिए गर्व की बात है बल्कि यह भारत-यूएई आर्थिक साझेदारी में एक नया अध्याय जोड़ता है। यह कदम भारत के पूंजी बाज़ार में विदेशी निवेश को और गहराई देगा और भारतीय मूल के निवेशकों को अपने देश की विकास गाथा में सीधे जुड़ने का अवसर प्रदान करेगा।