Aniruddh Singh
9 Nov 2025
सैन फ्रांसिस्को। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) जिस रफ्तार से आगे बढ़ रही है, उसने आम लोगों को ही नहीं, इसके निर्माताओं को भी चिंता में डाल दिया है। चैटजीपीटी बनाने वाली कंपनी ओपनएआई ने एक चेतावनी जारी कर कहा है कि आने वाला दौर, जिसे सुपरइंटेलिजेंस कहा जा रहा है, मानव सभ्यता के लिए अभूतपूर्व अवसरों के साथ-साथ भयानक खतरे भी ला सकता है। कंपनी ने कहा अगर इस तकनीक को बिना नियंत्रण और सुरक्षा उपायों के विकसित किया गया, तो यह मानव अस्तित्व के लिए भी खतरा बन सकती है। ओपनएआई ने कहा अब एआई की प्रगति लोगों की समझ से कहीं आगे निकल चुकी है।
जहां आम उपयोगकर्ता इसे एक साधारण उत्पादकता उपकरण के रूप में देखते हैं-जैसे चैटबॉट, कोड असिस्टेंट या इमेज जनरेटर-वहीं ये सिस्टम खासकर बौद्धिक प्रतिस्पधार्ओं के मामलों में अब इंसानों से भी आगे निकलने की क्षमता हासिल कर चुके हैं। यानी कुछ क्षेत्रों में मशीनें अब मनुष्य से ज्यादा बुद्धिमान और तेजी से निर्णय लेने में सक्षम हो चुकी हैं। कंपनी का मानना है कि सुपरइंटेलिजेंस से चिकित्सा, वैज्ञानिक अनुसंधान, जलवायु परिवर्तन और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में क्रांतिकारी सुधार हो सकते हैं।
यह इंसानों को बीमारियों को बेहतर समझने, नई दवाओं के विकास, पर्यावरण मॉडलिंग और व्यक्तिगत शिक्षा प्रदान करने में मदद कर सकती है। लेकिन इसके साथ ही ओपनएआई ने यह भी कहा कि ऐसी प्रणालियां तभी तक सुरक्षित रहेंगी जब उन्हें मजबूत नियंत्रण ढ़ांचे के तहत विकसित और संचालित किया जाए। कंपनी ने सुझाव दिया है कि दुनिया भर में सरकारों, अनुसंधान संस्थानों और टेक कंपनियों को मिलकर एआई सुरक्षा प्रणाली तैयार करनी चाहिए, जो सुपरइंटेलिजेंट मशीनों को नियंत्रित रखने के लिए एक वैश्विक ढांचा बन सके। यह कुछ वैसा ही होगा जैसा भवन निर्माण के लिए बिल्डिंग कोड या साइबर सुरक्षा के मानक बनाए जाते हैं।
ओपनएआई का कहना है कि कोई भी सुपरइंटेलिजेंट सिस्टम तब तक लागू नहीं किया जाना चाहिए जब तक उसे पूरी तरह से मानव मूल्यों और नियंत्रण के अनुरूप न बना लिया जाए। यह चेतावनी ऐसे समय में आई है जब ओपनएआई खुद शेयर बाजार में उतरने की तैयारी कर रही है और दूसरी ओर माइक्रोसॉफ्ट, मेटा और एन्थ्रोपिक जैसी कंपनियां भी अपनी-अपनी सुपरइंटेलिजेंस परियोजनाओं पर तेजी से काम कर रही हैं।
माइक्रोसॉफ्ट ने ूमनिस्ट सुपरइंटेलिजेंस नामक एक नई पहल शुरू की है, जिसकी अगुवाई डीपमाइंड और इन्फ्लेक्शन एआई के सह-संस्थापक मुस्तफा सुलेमान कर रहे हैं। मुस्तफा सुलेमान ने कहा उनका उद्देश्य ऐसी कृत्रिम बुद्धिमत्ता विकसित करना है जो हमेशा मानवता की सेवा में काम करे। सुलेमान ने ओपनएआई की चेतावनी के विपरीत कहा वे एजीआई की दौड़ जैसी प्रतिस्पर्धा में विश्वास नहीं रखते। उनका उद्देश्य धीरे-धीरे, जिम्मेदारी के साथ ऐसी एआई विकसित करना है जो ठोस और सुरक्षित रूप से मानव जीवन को बेहतर बनाए। इस पूरे परिदृश्य से यह स्पष्ट है कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता अब केवल तकनीकी विषय नहीं रही, बल्कि यह आने वाले समय में मानव अस्तित्व, नैतिकता और वैश्विक सुरक्षा से जुड़ा सबसे बड़ा प्रश्न बनने जा रही है। अगर सुपरइंटेलिजेंस को सही दिशा और नियंत्रण नहीं मिला, तो यह मानव सभ्यता के लिए सबसे बड़ी चुनौती साबित हो सकती है।