Aniruddh Singh
7 Oct 2025
नई दिल्ली। देश में गुड्स एंड सर्विसेज़ टैक्स (जीएसटी) प्रणाली को सरल बनाने के केंद्र सरकार के प्रस्ताव को राज्यों के वित्त मंत्रियों की समिति यानी ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स (जीओएम) ने स्वीकार कर लिया है। केंद्र सरकार के इस प्रस्ताव में मौजूदा चार दरों वाले कर ढांचे को बदलकर सिर्फ दो दरों में करने की बात कही गई थी। अब तक जीएसटी की चार दरें 5%, 12%, 18% और 28% लागू हैं, लेकिन अब इसे 5% और 18% पर सीमित किया जाएगा। इसके अलावा कुछ विशेष वस्तुओं जैसे लग्जरी कारें, सिगरेट और अन्य सिन गुड्स पर 40% कर जारी रहेगा। इस फैसले का मकसद जीएसटी को ज्यादा आसान बनाना और अनुपालन को व्यापक करना है। अक्सर यह शिकायत की जाती रही है कि चार अलग-अलग दरों के कारण व्यापारियों और आम उपभोक्ताओं दोनों को समझने में कठिनाई होती है। अब जब 12% और 28% वाले स्लैब खत्म हो जाएंगे तो कर ढांचा काफी सरल हो जाएगा। इस नई संरचना के तहत 12% स्लैब में आने वाले 99% सामान 5% में आ जाएंगे यानी उपभोक्ताओं के लिए ये चीजें सस्ती हो जाएंगी।
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दूसरी ओर 28% स्लैब में आने वाले लगभग 90% सामान और सेवाएं 18% के स्तर पर आ जाएं, जिससे महंगे सामानों और सेवाओं की कीमत भी घटेगी। लग्जरी कारों और कुछ चुनिंदा उत्पादों को 40% वाले स्लैब में रखा जाएगा। बैठक में यह मुद्दा भी चर्चा में रहा कि स्वास्थ्य और जीवन बीमा पर जीएसटी को पूरी तरह से माफ कर दिया जाए। यह प्रस्ताव केंद्र ने पहले ही दिया था और ज्यादातर राज्यों ने इसे समर्थन भी दिया। अगर यह लागू होता है तो स्वास्थ्य और जीवन बीमा पॉलिसी लेने वाले लोगों को काफी फायदा होगा। अभी इन पर 18% जीएसटी लगता है, जो प्रीमियम की लागत को बढ़ा देता है। हालांकि, इसका सालाना राजस्व नुकसान लगभग ₹9,700 करोड़ रुपए का होगा। इसीलिए राज्यों ने यह भी कहा कि बीमा कंपनियों के लिए ऐसा तंत्र होना चाहिए जिससे टैक्स छूट का असली लाभ उपभोक्ताओं तक पहुंचे, न कि सिर्फ कंपनियों के मुनाफे में बदल जाए।
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इस ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स की अध्यक्षता बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने की। इसके अन्य सदस्य उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक और केरल के मंत्री थे। अब इन सिफारिशों को अंतिम मंजूरी के लिए जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक में रखा जाएगा। अगर परिषद इन्हें मंजूरी दे देती है तो आने वाले महीनों में जीएसटी व्यवस्था पूरी तरह से बदल जाएगी। जीएसटी परिषद की बैठक अगले माह सितंबर में होने वाली है। कुल मिलाकर, यह बदलाव भारतीय टैक्स व्यवस्था को सरल, पारदर्शी और उपभोक्ता हितैषी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे न केवल कर ढांचा आसान होगा बल्कि लोगों को रोजमर्रा की कई चीजों और सेवाओं पर खर्च भी कम करना पड़ेगा। वहीं, बीमा जैसी जरूरी सेवाओं पर टैक्स हटने से लोगों में बीमा लेने की प्रवृत्ति बढ़ेगी। यह कदम अर्थव्यवस्था को गति देने और लोगों की जेब पर बोझ घटाने वाला साबित होगा।