Aniruddh Singh
7 Oct 2025
मुंबई। नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र की कई कंपनियां अगले कुछ महीनों में शेयर बाजार से पूंजी जुटाने की तैयारी कर रही हैं। ये ग्रीन एनर्जी कंपनियां लगभग 25,000 करोड़ रुपए के आईपीओ लाने वाली हैं। इसका मतलब है कि अब निवेशकों को सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा और एथेनॉल जैसे हरित ऊर्जा क्षेत्रों में सीधे निवेश का अवसर मिलेगा। सिक्योरिटीज़ एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) की मंजूरी का इंतजार कर रही कंपनियों में एम्मवी फोटोवोल्टिक और जुनिपर ग्रीन एनर्जी शामिल हैं, जो ₹3,000-₹3,000 करोड़ के आईपीओ लाने वाली हैं। इसके अलावा प्रोजील ग्रीन एनर्जी ने ₹700 करोड़ का प्रस्ताव रखा है। रीग्रीन-एक्सेल ईपीसी इंडिया, जो एथेनॉल संयंत्र बनाती है, को पहले ही ₹500 करोड़ के आईपीओ के लिए मंजूरी मिल चुकी है, वहीं सात्विक ग्रीन एनर्जी को भी ₹1,150 करोड़ की इश्यू के लिए हरी झंडी मिल गई है।
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यह तेजी एनटीपीसी ग्रीन एनर्जी की पिछले साल नवंबर 2024 में हुई लगभग ₹10,000 करोड़ की शानदार लिस्टिंग के बाद देखी जा रही है, जिसने इस क्षेत्र को मजबूती दी। विशेषज्ञों का मानना है कि यह नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र के परिपक्व होने का संकेत है और अब यह मुख्यधारा के निवेश विकल्प के रूप में उभर रहा है। आईआईएफएल कैपिटल के संयुक्त सीईओ राघव गुप्ता के अनुसार, हर साल 20-25 बिलियन डॉलर के निवेश की जरूरत होती है ताकि भारत 2030 तक अपने नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों को हासिल कर सके। इक्विटी मार्केट इस पूंजी जुटाने में अहम भूमिका निभा रहा है। निवेशकों की दिलचस्पी भी बढ़ रही है, क्योंकि अब इन कंपनियों का मूल्यांकन पारंपरिक इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनियों के बराबर हो गया है।
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आने वाले समय में भी यह रफ्तार बनी रहने की उम्मीद है। हीरो फ्यूचर एनर्जीज, जिसे केकेआर और मुनजाल परिवार का समर्थन है, ₹5,000 करोड़ का आईपीओ लाने की तैयारी कर रही है। इसके अलावा सौर पैनल निर्माण करने वाली एसएईएल भी ड्राफ्ट पेपर दाखिल करने की कतार में है। अगर ये योजनाएं पूरी होती हैं तो वित्त 26 भारतीय आईपीओ कैलेंडर में नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र के लिए सबसे व्यस्त सालों में से एक साबित होगा। भारत का लक्ष्य है कि 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को 500 गीगावाट तक पहुंचाया जाए, जबकि वर्तमान में यह लगभग 242 गीगावाट है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए भारी निवेश की आवश्यकता होगी। वित्तवर्ष 26 से वित्त वर्ष 30 तक पूरे वैल्यू चेन में लगभग ₹20 लाख करोड़ का पूंजीगत व्यय अनुमानित है।
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किसी भी प्रोजेक्ट का लगभग 20% हिस्सा इक्विटी फंडिंग से पूरा होता है, जिसे केवल आंतरिक मुनाफे से पूरा करना संभव नहीं है। इसलिए कंपनियां आईपीओ के माध्यम से धन जुटाने की ओर तेजी से बढ़ रही हैं। निवेश बैंकरों के अनुसार, अधिकांश आईपीओ से जुटाई गई पूंजी का इस्तेमाल कंपनियां अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ाने में करेंगी। इसके अलावा सरकार का घरेलू कंटेंट नियम, जो सितंबर 2025 से सरकारी सौर परियोजनाओं के लिए अनिवार्य होगा, और छत पर सौर ऊर्जा (रूफटॉप सोलर) को बढ़ावा देने की पहल भी भारतीय कंपनियों को विस्तार का अवसर दे रही है। नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र का यह आईपीओ बूम न केवल भारत की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में मदद करेगा, बल्कि निवेशकों को भी हरित अर्थव्यवस्था का हिस्सा बनने का सुनहरा मौका देगा। यह रुझान बताता है कि आने वाले वर्षों में भारत न सिर्फ ऊर्जा आत्मनिर्भर बनेगा बल्कि जलवायु परिवर्तन के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में भी अग्रणी भूमिका निभाएगा।