Aniruddh Singh
12 Dec 2025
नई दिल्ली। ताइवानी इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माता कंपनी फॉक्सकॉन की चीन स्थित सहायक इकाई युझान टेक्नोलॉजी ने भारत से लगभग 300 और चीनी इंजीनियरों को वापस बुला लिया है। बता दें कि यह दूसरी बार है जब फॉक्सकॉन को अपने चीनी तकनीकी विशेषज्ञों को भारत से हटाना पड़ा है। यह कदम ऐसे समय उठाया गया है, जब भारत और चीन के बीच कूटनीतिक संबंधों में सुधार की प्रक्रिया शुरू हुई है। बीजिंग ने फॉक्सकॉन के चेयरमैन से भारत में निवेश को लेकर विस्तृत रिपोर्ट भी मांगी है, जिससे कंपनी के संचालन पर संभावित प्रभावों को लेकर चिंता बढ़ गई है। फॉक्सकॉन की यह सहायक कंपनी तमिलनाडु में लगभग 13,180 करोड़ रुपए की लागत से एक डिस्प्ले मॉड्यूल असेंबली यूनिट स्थापित कर रही है। कंपनी ने मई में स्टॉक एक्सचेंज को जानकारी दी थी कि वह युझान टेक्नोलॉजी में लगभग 1.5 अरब डॉलर का निवेश करेगी। इसका उद्देश्य चीन से आईफोन उत्पादन को आंशिक रूप से भारत में स्थानांतरित करना था, ताकि अमेरिका द्वारा लगाए जा सकने वाले ऊंचे टैरिफ से बचा जा सके। लेकिन अब बार-बार चीनी इंजीनियरों को भारत से हटाने के प्रयासों ने इस रणनीति को जटिल बना दिया है।
खबर है कि कंपनी ने भारत सरकार को बताया है कि बीजिंग ने सभी चीनी कर्मचारियों को तुरंत भारत से वापस बुलाने का निर्देश दिया है। इसके अलावा, लगभग 60 और इंजीनियर जिन्हें भारत आना था, उन्हें भी रोक दिया गया है। इस फैसले से संकेत मिलता है कि चीन भारत में अपनी कंपनियों और विशेषज्ञों की मौजूदगी पर सख्त नजर रख रहा है और फॉक्सकॉन पर अतिरिक्त दबाव डाल रहा है। हालांकि जानकारों का मानना है कि इस घटनाक्रम का भारत में फॉक्सकॉन की उत्पादन गतिविधियों पर गंभीर असर नहीं पड़ेगा। कंपनी ने पहले से ही वैकल्पिक योजनाएं बना रखी हैं। खासकर, ताइवान और अन्य देशों से इंजीनियरों को बुलाकर तकनीकी कार्यों की निरंतरता बनाए रखने की तैयारी की गई है। पिछली बार भी जब लगभग 300 चीनी इंजीनियर वापस बुलाए गए थे, तब फॉक्सकॉन ने बिना बड़े व्यवधान के कामकाज को सुचारु रूप से जारी रखा था।
यह पूरा मामला ऐसे समय सामने आया है जब भारत और चीन दोनों ही राजनयिक और व्यापारिक संबंधों में सुधार की कोशिश कर रहे हैं। हाल ही में दोनों देशों ने सीमा तनाव को कम करने के लिए कदम उठाए हैं और प्रत्यक्ष उड़ानों व कारोबारी संपर्कों को बहाल करने पर सहमति बनाई है। साथ ही रणनीतिक क्षेत्रों जैसे रेयर अर्थ्स में व्यापारिक सहयोग पर भी चर्चा हो रही है। भारत सरकार चीनी व्यापारिक पेशेवरों के लिए वीजा प्रतिबंधों को नरम करने पर भी विचार कर रही है। इस पृष्ठभूमि में, फॉक्सकॉन से इंजीनियरों की वापसी को केवल तकनीकी मुद्दे या चीन के आंतरिक दबाव के रूप में भी देखा जा सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि चीन नहीं चाहता कि उसके तकनीकी विशेषज्ञ लंबे समय तक भारत में ठहरें, जबकि भारत धीरे-धीरे चीन पर निर्भरता घटाकर वैकल्पिक स्रोत विकसित करना चाहता है। इस प्रकार, यह घटना भारत-चीन के बदलते रिश्तों, वैश्विक व्यापार दबावों और बहुराष्ट्रीय कंपनियों की रणनीतियों का एक मिश्रण है। युझान टेक्नोलॉजी द्वारा चीनी इंजीनियरों को वापस बुलाना एक कूटनीतिक और रणनीतिक कदम माना जा सकता है।