Aniruddh Singh
7 Nov 2025
Aniruddh Singh
7 Nov 2025
वाशिंगटन। अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और फेडरल रिजर्व गवर्नर लिसा कुक के बीच चल रहा कानूनी विवाद फिलहाल बिना किसी निष्कर्ष के टल गया है। वाशिंगटन डी.सी. की एक अदालत में इस मामले पर करीब दो घंटे तक सुनवाई हुई, लेकिन जज ने तुरंत कोई फैसला नहीं सुनाया। जज ने कुक के वकीलों से कहा कि वे अगले हफ्ते एक विस्तृत लिखित तर्क प्रस्तुत करें कि क्यों राष्ट्रपति का यह कदम गैरकानूनी है। इसका मतलब यह है कि फिलहाल कुक अपने पद पर बनी रहेंगी और फेड से जुड़ी अपनी जिम्मेदारियां निभाती रहेंगी।
यह विवाद इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सीधे-सीधे अमेरिकी केंद्रीय बैंक की स्वतंत्रता से जुड़ा है। फेडरल रिजर्व का काम होता है, ब्याज दरें तय करना और मौद्रिक नीतियों को नियंत्रित करना, ताकि महंगाई और आर्थिक स्थिरता बनाए रखी जाए। परंपरागत रूप से फेड किसी तरह के राजनीतिक हस्तक्षेप से मुक्त है, लेकिन ट्रंप द्वारा कुक को हटाने का प्रयास यह दिखाता है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप फेडरल रिजर्व की नीतियों को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं। इससे न केवल अमेरिकी अर्थव्यवस्था बल्कि वैश्विक बाजारों पर भी असर पड़ सकता है।
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डोनाल्ड ट्रंप ने आरोप लगाया है कि कुक ने फेड ज्वाइन करने से पहले बंधक (मॉर्टगेज) धोखाधड़ी की थी और इसी आधार पर उन्हें हटाने की कोशिश की जा रही है। हालांकि कुक ने इन आरोपों को निआधार और अप्रमाणित बताया है। उनके वकील एबी लोवेल ने दलील दी कि असल कारण यह है कि कुक राष्ट्रपति की ब्याज दरों को बड़े स्तर पर घटाने की मांग का समर्थन नहीं करतीं। इस विवाद का कानूनी पहलू यह है कि अमेरिकी कानून के अनुसार फेड गवर्नर को केवल फॉर काज आधार पर ही हटाया जा सकता है, लेकिन इसमें यह स्पष्ट नहीं है कि इसका दायरा क्या होगा और हटाने की प्रक्रिया कैसे होगी। इतिहास में अब तक किसी भी राष्ट्रपति ने किसी फेड गवर्नर को नहीं हटाया है, इसलिए यह मामला नजीर बन सकता है। डोनाल्ड ट्रंप पहले भी फेड की नीतियों से असंतुष्ट रहे हैं। अपने पहले कार्यकाल में उन्होंने चेयरमैन जेरोम पॉवेल की कड़ी आलोचना की थी। 2025 में सत्ता में लौटने के बाद वह फिर जेरोम पावेल पर ब्याज दरें घटाने का दबाव बना रहे हैं।
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फेड ने 2024 में तीन बार दरों में कटौती की, लेकिन दिसंबर से अब तक उन्हें स्थिर रखा गया है। कुक ने भी पॉवेल और समिति के बहुमत के साथ इन फैसलों में वोट किया था। फेड का तर्क है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आक्रामक व्यापार नीतियों से महंगाई बढ़ने का खतरा है, इसलिए जल्दबाज़ी में दरें घटाना ठीक नहीं। फिर भी उम्मीद है कि 16-17 सितंबर की बैठक में दरों को चौथाई प्रतिशत घटाया जा सकता है, लेकिन ट्रंप इससे कहीं ज्यादा कटौती चाहते हैं। कुल मिलाकर, यह मामला फेड की स्वायत्तता, राष्ट्रपति की शक्तियों की सीमा और अमेरिकी अर्थव्यवस्था की दिशा तीनों को प्रभावित करता है।
यदि अदालत ने ट्रंप के पक्ष में फैसला दिया तो भविष्य में राष्ट्रपति सीधे फेड के गवर्नरों पर दबाव डाल सकेंगे और यह केंद्रीय बैंक की स्वतंत्रता को कमजोर कर देगा। वहीं अगर अदालत ने कुक के पक्ष में फैसला सुनाया तो यह स्पष्ट संदेश जाएगा कि राष्ट्रपति चाहे जो भी हों, फेड की नीतियां राजनीतिक हस्तक्षेप से सुरक्षित रहेंगी। यही वजह है कि विशेषज्ञ मानते हैं कि यह विवाद अंततः सुप्रीम कोर्ट तक जाएगा और आने वाले वर्षों में अमेरिकी लोकतांत्रिक संस्थाओं और वैश्विक वित्तीय स्थिरता के लिए इसका बड़ा महत्व होगा।