Aniruddh Singh
7 Nov 2025
Aniruddh Singh
7 Nov 2025
Aniruddh Singh
4 Nov 2025
मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा है कि बैंकों पर अधिग्रहण फाइनेंसिंग से जुड़ी पाबंदियों को हटाना वास्तविक अर्थव्यवस्था के लिए बेहद फायदेमंद साबित होगा। इसका मतलब यह है कि अब बैंक कंपनियों को दूसरी कंपनियां खरीदने या अपने व्यवसाय का विस्तार करने के लिए अधिक आसानी से कर्ज दे सकेंगे। इससे निवेश, विस्तार और व्यापारिक गतिविधियों में तेजी आएगी, जो अंततः देश की आर्थिक वृद्धि को गति देगी। पिछले माह आरबीआई ने बैंकों को अधिग्रहण फाइनेंसिंग की अनुमति दी थी और साथ ही आईपीओ में शेयर खरीदने के लिए बैंक ऋण सीमा को भी बढ़ा दिया था। यह कदम दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में बैंक लेंडिंग को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया।
गवर्नर मल्होत्रा ने कहा ये निर्णय पूरी सुरक्षा को ध्यान में रखकर लिए गए हैं जैसे कि डील वैल्यू का सिर्फ 70% तक बैंक वित्त दे सकेंगे और डेट-टू-इक्विटी रेशियो पर भी सीमाएं होंगी। उन्होंने कहा इससे जोखिम नियंत्रित रहेगा, जबकि बैंक अधिक व्यवसाय कर सकेंगे। उन्होंने एसबीाई के बैंकिंग एंड एकनॉमिक कॉन्क्लेव में कहा किसी नियामक को बोर्डरूम में होने वाले निर्णयों का स्थान नहीं लेना चाहिए, क्योंकि भारत जैसे बड़े विविधतापूर्ण देश में हर कर्ज, हर डिपॉजिट और हर लेनदेन की प्रकृति अलग होती है। इसलिए यह जरूरी है कि बैंकों को प्रत्येक मामले के आधार पर निर्णय लेने की स्वतंत्रता मिले, न कि सभी पर एक जैसा नियम लागू किया जाए।
आरबीआई गवर्नर ने यह भी बताया कि भारतीय बैंकिंग प्रणाली पिछले वर्षों में अधिक मजबूत और लचीली बनी है। सुपरवाइजरी कार्रवाइयों ने अस्थिर या असुरक्षित वृद्धि को रोकने में मदद की है और बैंकिंग सिस्टम को अधिक सुरक्षित बनाया है। आरबीआई के पास जोखिमों को संभालने के लिए पर्याप्त साधन मौजूद हैं-जैसे जोखिम भार, प्रावधान मानदंड और काउंटर-साइक्लिकल बफर्स। ये उपकरण किसी भी उभरते जोखिम को नियंत्रित कर सकते हैं। कुल मिलाकर, यह कदम बैंकिंग क्षेत्र में नई ऊर्जा भरेगा और कंपनियों के बीच बड़े निवेश और अधिग्रहण को प्रोत्साहित करेगा। इससे रोजगार, निवेश और आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि होगी, और भारत की अर्थव्यवस्था को आवश्यक गति मिलेगी।