Aniruddh Singh
7 Nov 2025
Aniruddh Singh
7 Nov 2025
ताइपे। एनविडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जेनसन हुआंग ने कहा कि एआई रेस चीन जीतने जा रहा है। उनके इस बयान ने दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा है। उन्होंने कहा चीन ऊर्जा लागत को कम रखने, कंपनियों को सब्सिडी देने और नियमों को सीमित रखने की नीति अपना रहा है, जिससे वहां एआई विकास तेजी से हो रहा है। एक इंटरव्यू में हुआंग ने कहा इसके मुकाबले अमेरिका और यूरोप में अत्यधिक नियम और नीतियां नवाचार की गति को धीमा कर रही हैं। हुआंग ने कहा कि अमेरिका के कई राज्यों ने नए एआई नियमों का प्रस्ताव पेश किया है, जिससे देश में 50 अलग-अलग नियम बन सकते हैं और इससे एआई विकास की गति प्रभावित होनी तय है। उन्होंने बताया चीन में ऊर्जा सब्सिडी के कारण कंपनियां अपनी घरेलू एआई चिप्स और सुपरकंप्यूटिंग सिस्टम को बेहद कम लागत पर चला रही हैं। इससे वे तेजी से एआई मॉडल विकसित कर पा रही हैं।
हालांकि, बाद में हुआंग ने अपने बयान को थोड़ा नरम करते हुए कहा चीन एआई में अमेरिका से सिर्फ नैनोसेकंड पीछे है। उन्होंने कहा अमेरिका के लिए जरूरी है कि वह और तेजी से आगे बढ़े और दुनिया भर के डेवलपर्स को आकर्षित करे ताकि एआई की वैश्विक रेस में बढ़त बनाए रख सके। एनविडिया के लिए चीन एक बेहद बड़ा बाजार है। कंपनी जानती है कि अमेरिका–चीन तनाव के चलते एक्सपोर्ट कंट्रोल और प्रतिबंध उसके बिज़नेस को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकते हैं। अमेरिका द्वारा चीन को अत्याधुनिक एआई चिप्स बेचने पर लगाए गए प्रतिबंधों ने चीन को अपने घरेलू एआई चिप्स विकसित करने के लिए मजबूर किया, जिससे एनविडिया के लिए प्रतिस्पर्धा भी बढ़ रही है। दूसरी ओर, चीन ने अपने नए डेटा सेंटर प्रोजेक्ट्स में सिर्फ घरेलू एआई चिप्स का उपयोग अनिवार्य कर दिया है, जिससे विदेशी कंपनियों के लिए बाजार और सीमित हो रहा है।
उधर, अमेरिका में एआई निवेश में जबरदस्त उछाल देखने को मिल रहा है। अमेजन, माइक्रोसॉफ्ट, ओपनएआई, एनविडिया, ऑरेकल और कई अन्य कंपनियां मिलकर अरबों डॉलर का निवेश कर रही हैं। अमेजन ने ओपनएआई को 38 अरब डॉलर के एनवीडिया प्रोसेसर्स उपलब्ध कराने का करार किया है, जबकि एएमडी और एनविडिया दोनों ओपनएआई के साथ दीर्घकालिक साझेदारी बढ़ा रहे हैं। ओपनएआई द्वारा ऑरेकल से 300 अरब डॉलर के कंप्यूटिंग संसाधन खरीदने की खबर भी सामने आई है। इन घटनाओं के बीच जेनसन हुआंग का बयान इस बात का संकेत है कि एआई रेस अब सिर्फ तकनीक की नहीं, बल्कि भू-राजनीति, ऊर्जा नीति, नियमों और वैश्विक बाजार पहुंच का भी संघर्ष बन चुकी है।