Aniruddh Singh
7 Nov 2025
चंडीगढ़। पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा कि किसी कर्मचारी के खिलाफ सिर्फ एफआईआर दर्ज होना दुर्व्यवहार नहीं माना जा सकता और इस आधार पर उसकी वार्षिक वेतन वृद्धि नहीं रोकी जा सकती। अदालत ने स्पष्ट किया कि वर्षिक इंक्रीमेंट कर्मचारी का अर्जित अधिकार, जिसे एफआईआर लंबित होने जैसे कारणों से छीनना गलत है। यह मामला एक कर्मचारी से जुड़ा था जिसे 20 सितंबर 2001 को उसके पिता की मृत्यु के बाद सहानुभूति आधार पर क्लर्क की नौकरी मिली थी। नियुक्ति पत्र में लिखा था कि उसे टाइपिंग टेस्ट पास करना होगा। लेकिन विभाग ने यह कहते हुए उसकी वार्षिक वृद्धि रोक दी कि उसने टाइपिंग टेस्ट पास नहीं किया, जबकि उसने 13 मार्च 2020 को यह परीक्षा सफलतापूर्वक पास कर ली थी।
कर्मचारी ने अदालत में दलील दी कि उसने तीन साल की सेवा पूरी कर ली है, इसलिए नियमों के मुताबिक उसकी प्रोबेशन अपने-आप पूरी मानी जानी चाहिए थी। पीयूएनएसयूपी सेवा उपनियमों के अनुसार अधिकतम प्रोबेशन अवधि तीन साल है। इसके बावजूद विभाग ने उसकी पुष्टि नहीं की। उसके वकीलों ने यह भी कहा कि टाइपिंग टेस्ट पास करने के बाद इंक्रीमेंट मिलने से इंकार करने का कोई आधार नहीं बचता था, और नियमों में यह नहीं लिखा कि टेस्ट पास करने की अधिकतम समय सीमा क्या होनी चाहिए। कर्मचारी की ओर से यह भी बताया गया कि बोर्ड आॅफ डायरेक्टर्स ने 27 जुलाई 2016 की बैठक में अनुकंपा के आधार पर नियुक्त कर्मचारियों को टाइपिंग टेस्ट न पास करने पर भी प्रशिक्षण देकर लाभ देने की अनुमति दी थी। इसके बावजूद उसे इंक्रीमेंट नहीं दिया गया।
कर्मचारी ने दावा किया कि कि वह एसीपी (अस्योर्ड कैरियर प्रोग्रेशन स्कीम) और प्रमोशन का भी हकदार है, लेकिन विभाग ने 13 जून 2024 के आदेश से सब लाभ सिर्फ इस आधार पर रोक दिए कि उसके खिलाफ 2017 से एक एफआईआर लंबित है। खास बात यह है कि इस एफआईआर में अब तक कोई चार्जशीट तक दायर नहीं हुई है। उसने बताया कि उससे जूनियर कर्मचारियों को, जिनके खिलाफ भी आपराधिक मामले लंबित हैं, पहले ही पुष्टि और लाभ दे दिए गए हैं। हाई कोर्ट ने कहा सिर्फ एफआईआर लंबित होने से कर्मचारी का इंक्रीमेंट और कैरियर लाभ रोकना उचित नहीं है, खासकर तब जब कोई चार्जशीट दाखिल न की गई हो। अदालत ने कर्मचारी के पक्ष में फैसला दिया और उसके इंक्रीमेंट, प्रोबेशन की पुष्टि, प्रमोशन तथा एसीपी लाभ पर विचार करने का निर्देश दिया। यह फैसला न सिर्फ उस कर्मचारी के लिए बल्कि हजारों सरकारी कर्मचारियों के लिए मिसाल है, जिनकी सेवा संबंधी सुविधाएं एफआईआर लंबित होने के कारण रोकी जाती हैं।