Aniruddh Singh
7 Nov 2025
Aniruddh Singh
7 Nov 2025
मुंबई। अब तक आप गोल्ड लोन यानी सोने के बदले कर्ज के बारे में सुनते रहे हैं, लेकिन अब आरबीआई ने एक नया कदम उठाते हुए सिल्वर लोन यानी चांदी के बदले कर्ज लेने की सुविधा भी शुरू करने जा रहा है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने एक सर्कुलर जारी किया है। यह नियम 1 अप्रैल 2026 से लागू होंगे और इनके तहत बैंक, कोआॅपरेटिव बैंक और एनबीएफसी अब चांदी के गहनों और सिक्कों के बदले कर्ज दे सकेंगे। आरबीआई के अनुसार, इस नई व्यवस्था से उधार लेना आसान हो जाएगा, लेकिन इसके साथ ही मूल्यांकन और गिरवी रखी वस्तुओं की सुरक्षा के सख्त नियम भी लागू किए जाएंगे। हालांकि, आरबीआई ने साफ किया है कि शुद्ध चांदी या सोने (बुलियन) के बदले कर्ज नहीं मिलेगा, बल्कि केवल आभूषणों और सिक्कों के बदले ही लोन दिया जाएगा। यह फैसला इसीलिए लिया गया है, ताकि कोई भी व्यक्ति सोने या चांदी को निवेश के रूप में नहीं, बल्कि जरूरत के समय मदद के साधन के रूप में इस्तेमाल कर सके। आरबीआई ने यह भी स्पष्ट किया है कि ऐसे कर्ज उन्हीं व्यक्तियों को मिलेंगे जो स्पष्ट स्वामित्व वाले आभूषण या सिक्के गिरवी रखेंगे। किसी संदिग्ध स्वामित्व वाली वस्तु के बदले कर्ज देना प्रतिबंधित होगा।
इसके साथ ही, किसी उधारकर्ता द्वारा गिरवी रखी चांदी को बैंक दोबारा किसी और को गिरवी रखकर कर्ज नहीं दे सकेगा। कर्ज की सीमा के अनुसार, किसी एक उधारकर्ता द्वारा गिरवी रखे गए आभूषणों का कुल वजन 1 किलोग्राम सोना या 10 किलोग्राम चांदी से अधिक नहीं हो सकता। वहीं, सोने के सिक्कों की सीमा 50 ग्राम और चांदी के सिक्कों की सीमा 500 ग्राम रखी गई है। इसका मतलब है कि अधिकतम 10 किलो चांदी या 500 ग्राम चांदी के सिक्कों के बदले ही आप कर्ज ले सकेंगे। लोन-टू-वैल्यू (एलटीवी) अनुपात यानी गिरवी रखी धातु के मूल्य के मुकाबले मिलने वाले कर्ज की अधिकतम सीमा इस प्रकार तय की गई है- 2.5 लाख रुपए तक के लोन पर 85 प्रतिशत तक, 2.5 से 5 लाख रुपए के बीच के लोन पर 80 प्रतिशत तक और 5 लाख रुपए से अधिक राशि पर अधिकतम 75 प्रतिशत तक कर्ज मिलेगा। यानी यदि आपकी चांदी का मूल्य 1 लाख रुपए है, तो आपको अधिकतम 85,000 रुपए तक का कर्ज मिल सकता है। चांदी या सोने का मूल्यांकन पिछले 30 दिनों के औसत बंद भाव या पिछले दिन के बंद भाव में से जो कम हो, उसके आधार पर किया जाएगा। यह मूल्य इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन (आईबीजेए) या सेबी द्वारा विनियमित किसी कमोडिटी एक्सचेंज द्वारा प्रकाशित दरों के अनुसार तय होगा।
इसमें रत्न या अन्य सजावटी चीजों का मूल्य शामिल नहीं किया जाएगा। आरबीआई ने यह भी तय किया है कि मूल्यांकन की प्रक्रिया पारदर्शी और समान होगी, यानी हर शाखा में एक जैसे मानक अपनाए जाएंगे। ग्राहक की मौजूदगी में धातु की जांच होगी और उसे प्रमाणपत्र दिया जाएगा। कर्ज की शर्तें, शुल्क, नीलामी की प्रक्रिया और वापसी की समयसीमा साफ तौर पर अनुबंध में लिखी जाएंगी। कर्ज चुकाने के बाद बैंक को गिरवी रखी वस्तु अधिकतम 7 कार्य दिवसों के भीतर लौटानी होगी। यदि देरी बैंक की गलती से होती है, तो उसे ग्राहक को ?5,000 प्रतिदिन के हिसाब से मुआवजा देना होगा। यदि उधारकर्ता भुगतान नहीं करता, तो बैंक उसे नोटिस देकर या अनुपस्थित होने पर सार्वजनिक सूचना जारी कर एक महीने बाद नीलामी कर सकता है। नीलामी मूल्य धातु के वर्तमान मूल्य के कम से कम 90 प्रतिशत के बराबर होगा, और दो बार नीलामी असफल होने पर यह सीमा 85 प्रतिशत रहेगी। यदि कोई उधारकर्ता अपना कर्ज चुका देता है, लेकिन दो साल तक गिरवी रखी वस्तु नहीं लेता, तो वह अनक्लेम्ड यानी अनुप्राप्त संपत्ति मानी जाएगी। तब बैंक को ऐसे मामलों में ग्राहक या उसके वारिस की जानकारी जुटाने के लिए विशेष अभियान चलाने होंगे। इन नए नियमों से ग्रामीण और छोटे शहरों के लोगों को राहत मिलेगी, क्योंकि जिनके पास सोना नहीं है, वे अब अपनी चांदी के गहनों या सिक्कों के सहारे आसानी से कर्ज प्राप्त कर सकेंगे।