Naresh Bhagoria
9 Nov 2025
जितेंद्र चंद्रवंशी, जबलपुर।
शादी के बाद धुर्वे ने बच्चों के भविष्य संवारने के लिए इसी गांव में रहने का निर्णय लिया और कोदापार को अपना स्थाई ठिकाना बनाया। आज भी वे परिवार सहित यहीं रहकर बच्चों को शिक्षित कर रहे हैं। राकेश की बड़ी बेटी शशि धुर्वे ने इसी विद्यालय से पांचवीं कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया और वर्तमान में चारघाट माध्यमिक विद्यालय में कक्षा 6वीं में अध्ययनरत है। वहीं छोटी बेटी और बेटा अब भी कोदोपार प्राथमिक शाला में पिता से शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। इस प्रकार राकेश धुर्वे ने साबित किया कि सच्चे प्रयासों से शिक्षा का उजाला दुर्गम स्थानों में भी फैलाया जा सकता है।
वर्ष 2010 से ही उनके साथ शिक्षक घनश्याम शरणागत भी संस्था में सेवा दे रहे हैं। दोनों शिक्षकों ने मिलकर विद्यालय में अनुशासन, शिक्षा स्तर, स्वच्छता और सह-पाठ्य गतिविधियों को मजबूत किया। परिणामस्वरूप, आज कोदापार की शाला पूरे क्षेत्र में एक आदर्श विद्यालय के रूप में पहचानी जाती है। शिक्षक राकेश धुर्वे कहते हैं कि शुरुआत में परिस्थितियां कठिन थीं। संसाधन कम हैं, लेकिन बच्चों की सीखने की ललक ही हमारी शक्ति है। हमारा लक्ष्य है कि यहां के बच्चे भी मुख्यधारा से जुड़कर आगे बढ़ें।