Aniruddh Singh
26 Sep 2025
Aniruddh Singh
25 Sep 2025
Aniruddh Singh
25 Sep 2025
मुंबई। भारत की अग्रणी सौर ऊर्जा कंपनी वारी एनर्जीज के शेयर शुक्रवार को करीब 6.53% गिरकर 3,220 रुपए के स्तर पर आ गए हैं। यह गिरावट उस समय देखने को मिली, जब अमेरिकी कस्टम अधिकारियों के कंपनी के खिलाफ एक जांच शुरू करने की खबर सामने आई। आरोप है कि वारी एनर्जीज ने चीन में बने सौर सेल्स और पैनल्स को भारत निर्मित बताकर अमेरिका को निर्यात किया, ताकि चीन पर लगे भारी टैरिफ से बचा जा सके। अमेरिकी कस्टम विभाग द्वारा वकीलों के साथ साझा किए गए एक मेमो में कहा गया है कि एजेंसी को संदेह है कि वारी एनर्जीज द्वारा आयातित कुछ उत्पादों पर सही लेबलिंग नहीं की गई और उन्हें मेड इन इंडिया बताकर भेजा गया, जबकि वे वास्तव में चीन से आए थे। ऐसे मामले टैरिफ चोरी के तहत आते हैं, जो अमेरिकी व्यापार कानून का स्पष्ट उल्लंघन है।
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जांच के दौरान कंपनी से नकद जमा राशि भी मांगी गई है ताकि राजस्व की सुरक्षा की जा सके। अमेरिकन एलायंस फॉर सोलर मैन्युफैक्चरिंग ट्रेड कमेटी के औपचारिक शिकायत दर्ज कराने के बाद यह बात सामने आई। इस समिति में क्यूसेल्स (हन्वा कॉर्प) और फर्स्ट सोलर जैसी बड़ी अमेरिकी कंपनियां शामिल हैं। इन कंपनियों का कहना है कि भारतीय सौर उत्पाद हाल के वर्षों में सबसे सस्ते रहे हैं और इसका एक कारण यह हो सकता है कि उनमें चीनी पुर्जे इस्तेमाल किए जा रहे हैं जिन पर अमेरिका ने भारी शुल्क लगाया है। यदि यह सच है, तो भारतीय कंपनियां अनुचित लाभ उठा रही हैं और अमेरिकी मैन्युफैक्चरिंग को नुकसान पहुंचा रही हैं। वारी एनर्जीज ने अब तक इन आरोपों पर सार्वजनिक तौर पर कोई प्रतिक्रिया नहीं की है। कंपनी के प्रवक्ता और कानूनी प्रतिनिधि फिलहाल टिप्पणी के लिए उपलब्ध नहीं हुए हैं
हालांकि, इस जांच का असर तुरंत शेयर बाजार में दिखाई दिया और निवेशकों ने वारी एनर्जीज के शेयरों में बिकवाली शुरू कर दी। पिछले कुछ सालो में अमेरिका ने चीन और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों से आने वाले सौर पैनलों पर टैरिफ बढ़ा दिया है। इसके चलते भारत से अमेरिकी आयात तेजी से बढ़ा है। अमेरिकी बाजार में भारत के सौर उत्पाद सस्ते विकल्प के रूप में उभरे हैं और इससे भारतीय कंपनियों की हिस्सेदारी बढ़ी। लेकिन अब इस जांच ने भारतीय सोलर निर्यातकों के लिए अनिश्चितता पैदा कर दी है। यदि जांच में आरोप सही साबित होते हैं, तो अमेरिका भारत से आने वाले सौर उत्पादों पर भी टैरिफ लगा सकता है। पहले ही अमेरिकी उद्योग समूहों की ओर से मांग उठ चुकी है कि भारत, इंडोनेशिया और लाओस जैसे देशों पर भी चीन की तरह आयात शुल्क लगाया जाए। इससे न केवल वारी एनर्जीज बल्कि भारत की पूरी सोलर इंडस्ट्री के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं।
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भारत सौर ऊर्जा उत्पादों का एक बड़ा निर्यातक है और वैश्विक बाजार में उसकी छवि कम लागत और भरोसेमंद आपूर्तिकर्ता की रही है। यदि अमेरिकी जांच के नतीजे भारत के खिलाफ जाते हैं, तो न केवल वारी एनर्जीज के कारोबार पर बल्कि अन्य भारतीय कंपनियों की प्रतिस्पर्धा पर भी गहरा असर पड़ेगा। इससे भारत के लिए अमेरिका जैसे महत्वपूर्ण बाजार तक पहुंच सीमित हो सकती है और आने वाले समय में यूरोपीय या अन्य देशों के नियामक भी सख्ती कर सकते हैं। वारी एनर्जीज पर लगे आरोप और अमेरिकी जांच से यह संदेश जाता है कि वैश्विक व्यापार में पारदर्शिता और नियमों का पालन करना अनिवार्य है। फिलहाल निवेशक और उद्योग जगत की नजरें इस पर टिकी हैं कि अमेरिकी कस्टम की जांच से क्या निष्कर्ष निकलते हैं और क्या भारतीय सौर उत्पादों पर नया टैरिफ लगाया जाता है।