Mithilesh Yadav
6 Oct 2025
Mithilesh Yadav
6 Oct 2025
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6 Oct 2025
रायपुर। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल की मुश्किलें बढ़ गई हैं। रायपुर की स्पेशल कोर्ट ने मंगलवार को उन्हें 5 दिन की प्रवर्तन निदेशालय (ED) की कस्टोडियल रिमांड पर भेज दिया। अब 23 अगस्त तक ईडी चैतन्य से पूछताछ कर नए तथ्यों की जांच करेगी। कोर्ट में पेशी के दौरान भूपेश बघेल भी मौजूद रहे।
चैतन्य बघेल इससे पहले न्यायिक रिमांड पर जेल में बंद थे। न्यायिक रिमांड खत्म होने के बाद उन्हें स्पेशल कोर्ट में पेश किया गया। ईडी ने कोर्ट से पांच दिन की कस्टडी मांगी, जिसे स्वीकार कर लिया गया। ईडी का कहना है कि नए सबूत और लेन-देन के दस्तावेज सामने आए हैं, जिन पर विस्तृत पूछताछ करना जरूरी है।
ईडी की जांच में सामने आया है कि शराब घोटाले से चैतन्य बघेल को 16.70 करोड़ रुपए मिले। इस रकम को रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स में निवेश कर ब्लैक मनी को सफेद करने की कोशिश की गई। जांच एजेंसी के मुताबिक फर्जी निवेश और कंपनियों के जरिए बड़े पैमाने पर हेराफेरी की गई और लगभग 1000 करोड़ रुपए तक का सिंडिकेट चलाया गया।
ईडी ने अपनी जांच में पाया कि चैतन्य बघेल की कंपनी ‘बघेल डेवलपर्स’ के विट्ठल ग्रीन प्रोजेक्ट में घोटाले के पैसे को लगाया गया। इस प्रोजेक्ट की वास्तविक लागत 13 से 15 करोड़ रुपए थी, लेकिन रिकॉर्ड में केवल 7.14 करोड़ दिखाया गया। जांच में यह भी सामने आया कि एक ठेकेदार को 4.2 करोड़ रुपए कैश पेमेंट किया गया, जो आधिकारिक रिकॉर्ड में शामिल नहीं था।
ईडी ने खुलासा किया कि कारोबारी त्रिलोक सिंह ढिल्लन ने अपने कर्मचारियों के नाम पर 19 फ्लैट खरीदे। इसके लिए 5 करोड़ रुपए बघेल डेवलपर्स को ट्रांसफर किए गए। हालांकि भुगतान ढिल्लन ने खुद किया। सभी फ्लैट खरीदी एक ही दिन यानी 19 अक्टूबर 2020 को की गई। ईडी के मुताबिक यह सौदा ब्लैक मनी को वैध दिखाने की साजिश का हिस्सा था।
ईडी की जांच में यह भी सामने आया कि भिलाई के एक ज्वेलर्स ने चैतन्य बघेल को 5 करोड़ रुपए नकद दिए। इस राशि को उनकी कंपनियों के खातों में लोन के रूप में दिखाया गया। बाद में उसी ज्वेलर्स ने बघेल की कंपनी से 6 प्लॉट खरीदे, जिनकी असली कीमत महज 80 लाख थी। ईडी का दावा है कि यह प्रक्रिया कैश को बैंकिंग चैनल से गुजारकर वैध बनाने के लिए अपनाई गई।
ईडी का कहना है कि चैतन्य बघेल ने अपने अवैध पैसों को छिपाने और वैध दिखाने के लिए फ्रंट कंपनियों का इस्तेमाल किया। ढिल्लन सिटी मॉल से पैसा ड्रिंक्स कंपनी के जरिए कर्मचारियों तक पहुंचाया गया और फिर वही रकम बघेल डेवलपर्स तक भेजी गई। इस चेन के जरिए करीब 16.70 करोड़ रुपए का लेन-देन सामने आया है।
ईडी की जांच छत्तीसगढ़ के इस बड़े शराब घोटाले को लेकर चल रही है, जिसमें 2000 करोड़ रुपए से अधिक की हेराफेरी की बात सामने आई है। ईडी ने ACB के जरिए FIR दर्ज कराई है और इसमें कई नेताओं, अफसरों और कारोबारियों के नाम शामिल हैं। ईडी का दावा है कि पूर्व भूपेश सरकार के कार्यकाल में IAS अफसर अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के एमडी एपी त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर के सिंडिकेट ने इस पूरे घोटाले को अंजाम दिया।