Priyanshi Soni
29 Oct 2025
Anuraj Kumar
16 Oct 2025
हर्षित चौरसिया,जबलपुर। मध्य भारत में एडवांस्ड ब्रेस्ट और थाइराइड कैंसर सर्जरी के हब के रूप में जबलपुर मेडिकल कॉलेज उभर रहा है। पिछले दो सालों में कॉलेज में संचालित हाई वॉल्यूम सेंटर में ब्रेस्ट एवं थाइराइड कैंसर से पीड़ित 300 से अधिक मरीजों को यहां के चिकित्सा विशेषज्ञों द्वारा ईजाद की गई तकनीक ने नया जीवन दिया है बल्कि इस तकनीक ने देश दुनिया में जबलपुर की पहचान स्थापित की है। बताया जाता है कि मध्य प्रदेश ही नहीं बल्कि झारखंड, यूपी सहित अन्य राज्यों के पीड़ित यहां की सर्जरी की सफलता के बाद अपना उपचार कराने के लिए पहुंच रहे हैं।
सर्जरी विभाग के ब्रेस्ट एवं थाइराइड कैंसर विशेषज्ञ एवं असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. संजय यादव ने बताया कि पिछले करीब एक साल में हम ब्रेस्ट कैंसर के 200 मरीज व 100 से अधिक थाइराइड कैंसर के मरीजों की सर्जरी कर चुके हैं। सभी सर्जरी सफल रही। लेकिन हाल ही में 17 वर्षीय युवती में ब्रेस्ट कैंसर की शिकायत के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि समाज में अभी जागरुकता कम है।
डॉ. यादव के मुताबिक हर साल देश में करीब 2 लाख ब्रेस्ट कैंसर के नए मरीज सामने आ रहे हैं। ऐसे में लो कॉस्ट सर्जरी और दाग रहित सर्जरी जैसी तकनीक से उपचार तो संभव है, लेकिन इससे बचाव के लिए उन्हें जागरूक करना बेहद जरूरी है।
गाजीपुर निवासी रामकृत यादव ने अपनी 35 वर्षीय बेटी के सफल इलाज का अनुभव साझा किया। जब उनकी बेटी ब्रेस्ट कैंसर की पीड़ा से गुजर रही थी, तब उन्हें रिश्तेदार से जबलपुर मेडिकल कॉलेज के डॉ. संजय यादव के बारे में पता चला। रामकृत यादव बताते हैं, आज मेरी बिटिया कैंसर की पीड़ा से मुक्त हो चुकी है। जो सुविधा और समर्पित भाव डॉक्टरों की टीम द्वारा एक सरकारी अस्पताल में प्रदान की गई है, वह किसी बड़े निजी अस्पताल में लाखों रुपए खर्च करने के बाद भी नहीं मिलती।
झारखंड के धनबाद से अपने भाई का इलाज कराने आए मनोज कुमार गुप्ता की कहानी भी ऐसी ही है। उनके भाई को पीठ के पिछले भाग में कैंसर ट्यूमर था। मनोज ने बताया कि यहां पर जो उपचार मिला है, वह किसी निजी अस्पताल में अच्छी खासी राशि खर्च करने के बाद भी नहीं मिलता। यहां के चिकित्सकों ने मेरे भाई को ठीक कर दिया है और ऐसा लग रहा है कि जबलपुर मेडिकल कॉलेज से एक नया जीवन मेरे भाई को मिला है।
थाइराइड कैंसर के इलाज में एक नई और प्रभावी तकनीक के लिए जबलपुर के नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई है। इस तकनीक को थाइराइड सर्जरी के दौरान गले की आवाज की नस को सुरक्षित रखने में उपयोग किया जाता है, जिससे मरीज की बोलने की क्षमता पर कोई असर नहीं पड़ता। यह नई तकनीक हाल ही में मैंगलोर में आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में प्रस्तुत की गई और विशेषज्ञों द्वारा सराही गई। यह सेमिनार 31 अक्टूबर और 1 नवंबर 2025 को आयोजित किया गया था, जिसमें नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के कैंसर विशेषज्ञ असि. प्रोफेसर डॉ. संजय यादव ने मध्यप्रदेश का प्रतिनिधित्व करते हुए इस तकनीक पर व्याख्यान दिया। सेमीनार में भारत के अलावा मलेशिया, आस्ट्रेलिया, यूके, और जापान जैसे देशों के 150 से अधिक डॉक्टरों ने भाग लिया।