Aniruddh Singh
26 Sep 2025
Aniruddh Singh
25 Sep 2025
Aniruddh Singh
25 Sep 2025
सिंगापुर। एशियाई बाजार में गुरुवार को कच्चे तेल की कीमतों पर हल्का दबाव दिखाई देखने को मिला। इससे पहले बुधवार को तेल की कीमतें सात हफ्तों के उच्च स्तर पर पहुंच गई थीं, लेकिन निवेशकों ने मुनाफावसूली करते हुए बिकवाली की जिस वजह से बाजार में नरमी आ गई। ब्रेंट क्रूड 26 सेंट यानी 0.4% गिरकर 69.05 डॉलर प्रति बैरल पर और अमेरिकी डब्ल्यूटीआई क्रूड 27 सेंट यानी 0.4% टूटकर 64.72 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया। बुधवार को दोनों बेंचमार्क में करीब 2.5% की बढ़त दर्ज हुई थी, जिसकी वजह अमेरिका के कच्चे तेल भंडार में अप्रत्याशित कमी और यूक्रेन द्वारा रूस की ऊर्जा संरचना पर हमलों को लेकर आपूर्ति प्रभावित होने की आशंका रही। इससे बाजार को मजबूती मिली थी, लेकिन अब यह तेजी टिकती नजर नहीं आ रही।
फिलिप नोवा की सीनियर मार्केट एनालिस्ट प्रियांका सचदेव का कहना है कि तेल की कीमतें अब एक सीमा तक पहुंच चुकी हैं। मौसमी रूप से मांग नरम होती जा रही है और चौथी तिमाही में ओपेक प्लस देशों की ओर से आपूर्ति बढ़ने की संभावना है। हालिया बढ़त भावनाओं पर आधारित ज्यादा लगती है, न कि वास्तविक मांग-आपूर्ति के आंकड़ों पर। जब तक कोई बड़ा झटका नहीं आता, ब्रेंट क्रूड में कीमतें यथास्थिति बनाए रखते हुए हल्की गिरावट की ओर जा सकती हैं। उन्होंने यह भी बताया कि सुबह के कारोबार में कुछ निवेशकों ने मुनाफावसूली की और इराकी कुर्दिस्तान से आपूर्ति फिर शुरू होने की संभावना ने अतिरिक्त आपूर्ति की चिंता बढ़ा दी है।
इराक की संघीय और कुर्द क्षेत्रीय सरकार के बीच बुधवार को आठ तेल कंपनियों के साथ समझौता हुआ है, जिसके बाद जल्द ही निर्यात शुरू होने की उम्मीद है। यह कदम बाजार में अतिरिक्त आपूर्ति की धारणा को मजबूत कर रहा है और कीमतों पर दबाव डाल सकता है। हालांकि, रूस की आपूर्ति बाधित होने की आशंका अब भी बनी हुई है, लेकिन हाल के हफ्तों में मांग और आपूर्ति के बुनियादी पहलुओं से कीमतों पर कोई खास दबाव नहीं पड़ा है। हैइतोंग सिक्योरिटीज की रिपोर्ट के अनुसार, अभी तक अपेक्षित अधिशेष आपूर्ति का असर कीमतों में स्पष्ट नहीं दिखा है। जैसे-जैसे चरम मांग का मौसम समाप्त हो रहा है, भविष्य में अतिरिक्त आपूर्ति का दबाव कीमतों में परिलक्षित हो सकता है।
इसके अलावा, मांग को लेकर भी निवेशकों में सावधानी बढ़ रही है। जेपी मॉर्गन की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि सितंबर महीने में अमेरिका में हवाई यात्रा का आंकड़ा साल-दर-साल केवल 0.2% की मामूली वृद्धि दिखा रहा है, जबकि पिछले दो महीनों में यह वृद्धि लगभग 1% रही थी। इसी तरह, अमेरिका में पेट्रोल की खपत भी कम होने लगी है, जो यात्रा की गति धीमी पड़ने का संकेत है। इस तरह, कच्चे तेल का हालिया उतार-चढ़ाव निवेशकों की भावनाओं और भू-राजनीतिक घटनाओं पर अधिक निर्भर दिख रहा है। एक ओर रूस और यूक्रेन से जुड़ी भू-राजनीतिक स्थिति बाजार को सहारा देती है, तो दूसरी ओर कुर्दिस्तान से आपूर्ति की बहाली और अमेरिका में घटती मांग कीमतों पर दबाव बनाती है। आने वाले समय में यह संतुलन ही तय करेगा कि तेल की कीमतें फिर से बढ़ेंगी या नरमी बनी रहेगी।