Mithilesh Yadav
12 Oct 2025
छतरपुर। उत्तर प्रदेश के लखनऊ विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. रविकांत के खिलाफ मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में FIR दर्ज की गई है। उन्होंने 31 जुलाई को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' पर पोस्ट करते हुए बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री पर महिला तस्करी का आरोप लगाया था।
“नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित छोटा भाई धीरेंद्र शास्त्री धर्म की आड़ में महिला तस्करी कर रहा है।”
इस पोस्ट को लेकर बागेश्वर धाम जन सेवा समिति के सदस्य धीरेंद्र कुमार गौर ने बमीठा थाने में रात 12 बजे शिकायत दर्ज करवाई। इसके बाद BNS की धारा 353(2) के तहत केस दर्ज किया गया। यह धारा उन मामलों में लगाई जाती है जब कोई व्यक्ति जानबूझकर घृणा, अफवाह या धार्मिक भावनाओं को आहत करने के उद्देश्य से झूठी सूचना फैलाता है। इसमें अधिकतम 3 साल तक की सजा का प्रावधान है।
यह विवाद उस घटना के बाद शुरू हुआ, जब 28 जुलाई को छतरपुर जिले के लवकुशनगर थाना क्षेत्र में पुलिस को सूचना मिली कि एक एम्बुलेंस में 13 महिलाओं को ले जाया जा रहा है। डायल 100 की टीम ने पठा चौकी क्षेत्र में एम्बुलेंस को रोका और महिलाओं को थाने लाया गया।
वीडियो में एक व्यक्ति एम्बुलेंस ड्राइवर से पूछताछ करता दिखा, जिसमें ड्राइवर ने कहा कि सेवादार कल्लू दादा के कहने पर ये महिलाएं महोबा रेलवे स्टेशन जा रही थीं। वहीं, महिलाओं ने आरोप लगाया कि बागेश्वर धाम की सेवादार मिनी ने जबरन उन्हें एम्बुलेंस में बिठाया और जान से मारने की धमकी दी।
महिलाओं ने यह भी कहा कि वे धाम में दर्शन और पेशी के लिए आई थीं, लेकिन उन्हें यह नहीं पता था कि उन्हें कहां ले जाया जा रहा है।
FIR दर्ज होने के बाद पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने रात करीब 3 बजे एक वीडियो जारी किया। उन्होंने कहा कि “हम सनातन परंपरा के लिए जीए हैं और इसके लिए ही मरेंगे। हमारे खिलाफ जो आरोप लग रहे हैं, वे साजिश हैं। हम जात-पात जैसी बीमारियों को खत्म करने में लगे हैं, यही कुछ लोगों को खटकता है। यह संघर्ष अभी आरंभ है, न जाने आगे लोग क्या-क्या कहेंगे।” उन्होंने यह भी कहा कि आगामी पदयात्रा (7-16 नवंबर) की बातों से कुछ लोगों को “पेट में दर्द” होना शुरू हो गया है, लेकिन वे अपने संकल्प से पीछे नहीं हटेंगे।
लवकुशनगर टीआई अजय अंबे ने बताया कि पूछताछ में यह बात सामने आई कि महिलाएं पिछले 6 महीने से बागेश्वर धाम में रह रही थीं और उन पर चोरी व चेन स्नैचिंग जैसी घटनाओं में शामिल होने का संदेह था।
धाम के सेवादार कुंज बिहारी के अनुसार, इन महिलाओं को गुरुजी की अनुपस्थिति में घर जाने की सलाह दी गई थी। लेकिन जब वे नहीं मानीं, तो समिति ने उन्हें एम्बुलेंस में रेलवे स्टेशन भेजने की व्यवस्था की।
बागेश्वर धाम ने 30 जुलाई को एक प्रेस नोट जारी कर बताया कि 29 जुलाई को 54 लोगों को घर भेजा गया, जिन पर संदिग्ध गतिविधियों में शामिल होने और पहचान छिपाने का आरोप था।
बागेश्वर जन सेवा समिति के सदस्य आकाश अग्रवाल ने बताया कि ये लोग फूल-माला और अन्य वस्तुएं बेचने के बहाने धाम में रह रहे थे, लेकिन उनकी गतिविधियों पर संदेह था। धाम चौकी और समिति ने स्थानीय होटलों और होमस्टे संचालकों से जानकारी जुटाकर उनकी पहचान की पुष्टि की। बाद में सभी को समझाइश देकर और किराया देकर रेलवे स्टेशन व बस अड्डों तक छोड़ा गया।
बमीठा थाना प्रभारी आशुतोष सिंह ने कहा कि फिलहाल गिरफ्तारी का सीधा प्रावधान नहीं है, लेकिन जांच के बाद आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। प्रोफेसर रविकांत के बयान को धार्मिक भावनाएं आहत करने वाला माना गया है।
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