Aniruddh Singh
23 Oct 2025
बीजिंग। चीन ने पुष्टि की है कि उसकी ओर से उप-प्रधानमंत्री हे लीफेंग शुक्रवार से मलेशिया में अमेरिकी प्रतिनिधियों से मुलाकात करेंगे। यह वार्ता ऐसे समय हो रही है जब दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं अमेरिका और चीन एक बार फिर बढ़ते व्यापारिक तनाव को कम करने की कोशिश कर रही हैं। अमेरिका की ओर से इस बैठक में ट्रेजरी सेक्रेटरी स्कॉट बेसेंट और ट्रेड रिप्रेजेंटेटिव जेमीसन ग्रीयर शामिल होंगे। यह बैठक 24 से 27 अक्टूबर तक मलेशिया में आयोजित होने वाले आसियान (आसियान) शिखर सम्मेलन के दौरान होगी, जिसमें चीन मेजबान है। इस मौके पर दोनों देशों के बीच व्यापारिक मुद्दों, विशेष रूप से रेयर अर्थ यानी दुर्लभ खनिजों के निर्यात पर चीन के हालिया प्रतिबंधों को लेकर चर्चा की जाएगी।
दुर्लभ खनिज आधुनिक तकनीकी उद्योगों के लिए बेहद अहम हैं, जैसे इलेक्ट्रिक वाहनों, स्मार्टफोन, रक्षा उपकरणों और सेमीकंडक्टरों में इनका प्रयोग होता है। तनाव की ताजा लहर तब शुरू हुई जब चीन ने इस महीने अचानक दुर्लभ खनिजों के निर्यात पर अपने नियंत्रण को सख्त कर दिया। यह कदम उसने अमेरिका के उस फैसले के जवाब में उठाया था, जिसमें वॉशिंगटन ने उन कंपनियों की सूची बढ़ा दी थी जिन्हें अमेरिकी प्रौद्योगिकी खरीदने पर रोक है। इससे पहले तक अमेरिका-चीन संबंधों में कुछ नरमी दिख रही थी, खासकर तब जब 19 सितंबर को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच फोन पर बातचीत हुई थी। उस बातचीत को दोनों देशों के बीच संवाद की दिशा में सकारात्मक कदम माना गया था।
उससे पहले मैड्रिड में हुई एक बैठक में भी दोनों पक्षों ने सोशल मीडिया ऐप टिकटॉक को लेकर समझौते पर सहमति जताई थी, जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक बड़ी कूटनीतिक सफलता के रूप में देखा गया। मगर अब हालात फिर से बिगड़ गए हैं और दोनों देश एक-दूसरे पर तनाव बढ़ाने का आरोप लगा रहे हैं। अब मलेशिया में होने वाली ये वार्ता ऐसे समय पर हो रही है जब अगले सप्ताह दक्षिण कोरिया में दोनों देशों के नेताओं की मुलाकात निर्धारित है। यह मुलाकात बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि इससे यह तय होगा कि अमेरिका और चीन के बीच हालिया मतभेद कितनी जल्दी सुलझ सकते हैं। दरअसल, दोनों देशों के बीच व्यापार, प्रौद्योगिकी और भू-राजनीतिक प्रभाव को लेकर चल रहा प्रतिस्पर्धात्मक तनाव कई सालों से जारी है।
ट्रंप प्रशासन के तहत अमेरिका चीन पर लगातार दबाव बना रहा है कि वह निष्पक्ष व्यापार नियमों का पालन करे और बौद्धिक संपदा चोरी जैसे मुद्दों को सुलझाए। दूसरी ओर, चीन इसे अपनी आर्थिक संप्रभुता में हस्तक्षेप मानता है। अब जबकि वैश्विक अर्थव्यवस्था धीमी हो रही है और एशिया में भू-राजनीतिक स्थिति जटिल बनी हुई है, ऐसे में मलेशिया की यह बैठक एक अहम मोड़ साबित हो सकती है। यदि दोनों पक्ष इस मंच पर कोई सकारात्मक सहमति बना पाते हैं, तो यह दक्षिण कोरिया में होने वाले आगामी शिखर सम्मेलन के लिए एक अनुकूल माहौल तैयार करेगा। परंतु अगर बातचीत विफल रही, तो इससे न केवल अमेरिका-चीन संबंधों में बल्कि वैश्विक व्यापार स्थिरता पर भी गंभीर असर पड़ सकता है।