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जल्द एचयूएल के लाइफबॉय को पछाड़ नंबर वन बन जाएगा विप्रो का संतूर : विनीत अग्रवाल

विनीत अग्रवाल, सीईओ-विप्रो कंज्यूमर केयर एंड लाइटिंग

नई दिल्ली। अरबपति कारोबारी अजीम प्रेमजी के नेतृत्व वाले विप्रो समूह की कंपनी विप्रो कंज्यूमर केयर एंड लाइटिंग ने अपने लोकप्रिय साबुन और पर्सनल केयर ब्रांड संतूर को अगले एक साल में हिंदुस्तान यूनिलीवर (एचयूएल) के ब्रांड लाइफबॉय से भी आगे ले जाने का भरोसा जताया है। कंपनी के सीईओ विनीत अग्रवाल ने कहा संतूर पहले ही कई बड़े ब्रांडों को पीछे छोड़ चुका है। उन्होंने कहा कि अब यह लाइफबॉय को भी मात दे देगा। संतूर वर्तमान में 2,700 करोड़ रुपए से अधिक का ब्रांड बन चुका है। शुरू में यह केवल साबुन के रूप में मशहूर था, लेकिन अब इसने अपने उत्पादों का दायरा बढ़ाकर हैंडवॉश, बॉडीवॉश और बॉडी लोशन जैसी श्रेणियों में भी प्रवेश किया है। यही वजह है कि संतूर पारंपरिक साबुन श्रेणी के अलावा अन्य व्यक्तिगत देखभाल उत्पादों में भी अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है।

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स्वच्छता का पर्याय माना जाता है लाइफबॉय

लाइफबॉय लंबे समय से भारतीय बाजार में स्वच्छता और स्वास्थ्य से जुड़े उत्पादों का पर्याय माना जाता है। इसका आकार भी 2,000 करोड़ रुपए से अधिक का है। संतूर और लाइफबॉय दोनों ही अब साबुन से आगे बढ़कर हैंडवॉश और अन्य श्रेणियों में उतर चुके हैं। ऐसे में बाजार की हिस्सेदारी को लेकर प्रतिस्पर्धा और भी तीव्र हो गई है। विनीत अग्रवाल ने कहा संतूर ने कुछ साल पहले ही एचयूएल के एक और लोकप्रिय ब्रांड लक्स को पछाड़ दिया था। यह उपलब्धि दर्शाती है कि संतूर लगातार उपभोक्ताओं की पसंद बनता जा रहा है और अब लाइफबॉय को पीछे छोड़ने की ओर बढ़ चला है। विप्रो कंज्यूमर केयर ने हाल के सालों में कई अधिग्रहणों के जरिए अपने ब्रांड पोर्टफोलियो को मजबूत किया है। कंपनी ने चंद्रिका जैसे पारंपरिक ब्रांड को 2004 में खरीदा था, जो तब केवल केरल तक सीमित था, लेकिन अब उसने राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई है।

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भरोसेमंद ब्रॉन्ड के रूप में उभरा संतूर

इसी तरह यार्डली को 2009 में खरीदा गया था, जो उस समय भारत में मात्र 18 करोड़ रुपए का कारोबार करता था, जबकि अब यह 300 करोड़ रुपए से अधिक का ब्रांड बन चुका है। 2007 में खरीदा गया उन्जा ब्रांड भी दक्षिण-पूर्व एशिया में 5 गुना तक बढ़ चुका है। इन सफलताओं ने विप्रो के आत्मविश्वास को और बढ़ाया है। हालांकि कंपनी को वित्त वर्ष 2024-25 में चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों का सामना करना पड़ा। उपभोक्ता भावनाओं में कमी और महंगाई के दबाव के बावजूद कंपनी ने 7.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की। यह दिखाता है कि विप्रो की रणनीति सही दिशा में है और उसके उत्पाद उपभोक्ताओं के बीच लगातार मांग में बने हुए हैं। संतूर की सफलता की सबसे बड़ी वजह यह है कि यह ब्रांड समय के साथ उपभोक्ता की बदलती जरूरतों के अनुसार खुद को ढालता रहा है। संतूर को भारतीय परिवारों में एक भरोसेमंद ब्रांड के रूप में देखा जाता है।

Santoor vs LifebuoyVinit AggarwalFMCGMarket Share
Aniruddh Singh
By Aniruddh Singh
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