अगस्त में देश में रिकॉर्ड 20 अरब के पार निकली यूपीआई से लेनदेन की संख्या
नई दिल्ली। भारत की डिजिटल भुगतान प्रणाली ने अगस्त 2025 में एक नई उपलब्धि हासिल की है। नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन आॅफ इंडिया (एनपीसीआई) के आंकड़ों के अनुसार, यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) के जरिए लेन-देन की संख्या 20 अरब के आंकड़े को पार कर गई है। यह उपलब्धि देश की डिजिटल अर्थव्यवस्था की मजबूती को दिखाती है। भारत के ग्रामीण इलाकों में भी डिजिटल लेन-देन का चलन काफी बढ़ गया है। मूल्य के लिहाज से देखा जाए तो अगस्त में यूपीआई के जरिए कुल 24.85 लाख करोड़ के लेन-देन किए गए। यह जुलाई के 25.08 लाख करोड़ रुपए से थोड़ा कम है, लेकिन मई 2025 का रिकॉर्ड 25.14 लाख करोड़ रुपए अब तक का सर्वोच्च बना हुआ है। इसके बावजूद अगस्त 2024 की तुलना में इसमें 21% की तेजी दर्ज की गई है। वहीं, लेन-देन की संख्या के मामले में साल-दर-साल 34% की शानदार वृद्धि हुई है। अगस्त 2024 में जहां 14.9 अरब लेन-देन किए गए थे, वहीं इस साल अगस्त में यह आंकड़ा 20.01 अरब तक पहु्ंच गया है।
औसतन, अगस्त महीने में रोजाना 645 मिलियन लेन-देन किए गए और प्रतिदिन लगभग 80,177 करोड़ रुपए का ट्रांसफर किया गया। यह निरंतरता इस बात का सबूत है कि यूपीआई भारतीयों की वित्तीय आदत का हिस्सा बन चुका है। पहले जहाँ डिजिटल भुगतान शहरी क्षेत्रों तक सीमित माना जाता था, वहीं अब ग्रामीण भारत में भी यह जीवन का अहम हिस्सा बनता जा रहा है। स्पाइस मनी के सीईओ दिलीप मोदी ने इसे भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था की ताकत बताया और कहा कि यूपीआई का 20 अरब लेन-देन पार करना ग्रामीण इलाकों में इसकी बढ़ती पहुँच का स्पष्ट प्रमाण है।
डिजिटल भुगतान में यूपीआई की भूमिका 85%
भारत में डिजिटल भुगतान के क्षेत्र में यूपीआई की भूमिका लगभग 85% है। यह आंकड़ा दिखाता है कि डिजिटल लेन-देन के लिए भारतीय लोग किस हद तक यूपीआई पर निर्भर हो चुके हैं। वैश्विक स्तर पर भी इसका योगदान उल्लेखनीय है—करीब 50% रियल टाइम डिजिटल भुगतान यूपीआई के माध्यम से होते हैं। यूपीआई का प्रभाव अब केवल भारत तक सीमित नहीं रह गया है। वर्तमान में सात देशों में इसका इस्तेमाल किया जाता है। ये हैं-संयुक्त अरब अमीरात, सिंगापुर, भूटान, नेपाल, श्रीलंका, फ्रांस और मॉरीशस। हाल ही में फ्रांस में इसका शुभारंभ एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है, क्योंकि इससे वहां रहने वाले या घूमने वाले भारतीयों को विदेशी भुगतान प्रणालियों की जटिलताओं से मुक्ति मिल गई है और वे आसानी से लेन-देन कर पा रहे हैं।