Aniruddh Singh
20 Dec 2025
बीजिंग। चीन ने अपने रेयर अर्थ (दुर्लभ खनिज) निर्यात नियमों में ढील देने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह कदम अमेरिका और चीन के बीच हुए ट्रंप–शी जिनपिंग समझौते के बाद उठाया गया है। बुसान बैठक में चीन ने अक्टूबर में लगाए गए प्रतिबंधों को एक साल के लिए रोकने पर सहमति जताई गई थी। इसके तहत चीन ने अमेरिका के खिलाफ लागू अपने कुछ सबसे कड़े व्यापार प्रतिबंधों को अस्थायी रूप से रोक दिया है। यह रोक गैलियम, जर्मेनियम, एंटिमनी और अन्य ऐसे उत्पादों पर लगे निर्यात प्रतिबंधों पर लागू होगी, जिनका उपयोग हाई-टेक विनिर्माण में होता है। चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने बताया है कि यह निलंबन तुरंत प्रभाव से लागू हो गया है और 27 नवंबर 2026 तक जारी रहेगा। सूत्रों के अनुसार, चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने चुनिंदा रेयर अर्थ निर्यातकों को बताया है कि भविष्य में उन्हें नई, सरल और तेज निर्यात लाइसेंस प्रणाली के तहत आवेदन करने की अनुमति दी जाएगी।
चीन ने ये निर्यात प्रतिबंध दिसंबर 2024 में लागू किए थे, जब चीन ने क्रिटिकल खनिजों पर अपनी पकड़ का उपयोग अमेरिका पर दबाव बनाने के लिए शुरू किया था। यह निर्णय 30 अक्टूबर को दक्षिण कोरिया में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच हुई बैठक के बाद लिया गया है। दोनों नेताओं ने एक वर्ष से चल रहे टैरिफ विवाद को कम करने, कई दंडात्मक उपायों को वापस लेने और आगे की वृद्धि को रोकने के लिए कुछ शर्तों पर सहमति जताई। पिछले वर्ष दोनों देशों ने एक-दूसरे पर कई बार आयात शुल्क बढ़ाए थे। इस तनाव ने वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं को बाधित किया और दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच सामान के प्रवाह को धीमा कर दिया।
गैलियम, जर्मेनियम और एंटिमनी जैसी धातुएं आधुनिक तकनीक के लिए अत्यंत आवश्यक हैं, क्योंकि वे सेमीकंडक्टर, स्मार्टफोन, सौर तकनीक और उन्नत सैन्य उपकरणों के निर्माण में उपयोग होती हैं। इन धातुओं की वैश्विक आपूर्ति में चीन की निर्णायक भूमिका है और निर्यात रोककर वह अपने प्रभाव का भू-राजनीतिक लाभ उठाता रहा है। यह ताजा पहल न केवल इन धातुओं पर रोक को स्थगित करती है, बल्कि ग्रेफाइट पर लगे सख्त एंड-यूजर और एंड-यूज निरीक्षण को भी अमेरिका के लिए लचीला बनाती है। इन निरीक्षणों को भी उसी समय लागू किया गया था जब धातुओं पर प्रतिबंध लगाए गए थे। इस कदम को व्यापक नरमी का हिस्सा माना जा रहा है।
बुसान में हुई बैठक में चीनी राष्ट्रपति शी जिनिपंग और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यह भी तय किया था कि आने वाले एक वर्ष में दोनों देश टैरिफ कम करेंगे और नई व्यापारिक कार्रवाइयों से बचेंगे, ताकि दोनों देशों के बीच बातचीत का क्रम जारी रहने तक स्थिति स्थिर बनी रहे। यह कदम संकेत देता है कि दोनों देश बढ़ती आर्थिक लागतों और आपूर्ति-शृंखला अव्यवस्था को देखते हुए आगे किसी संघर्ष से बचना चाहते हैं। इन परिवर्तनों का व्यापक अर्थ यह है कि अमेरिका-चीन व्यापार संबंधों में एक अस्थायी सुलह का दौर शुरू हो गया है। यह उद्योगों, विशेषकर सेमीकंडक्टर और बैटरी उत्पादन, को कुछ राहत देगा क्योंकि महत्वपूर्ण कच्चे माल की आपूर्ति सुचारू होगी।