Peoples Reporter
7 Oct 2025
वॉशिंगटन डीसी। भारत और अमेरिका के बीच व्यापार और कूटनीतिक तनाव नई ऊंचाई पर पहुंच गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार रात भारत पर अतिरिक्त 25% टैरिफ लगाने के बाद स्पष्ट रूप से चेतावनी दी कि अभी तो बहुत कुछ बाकी है। ट्रंप के इस बयान के बाद यह साफ हो गया है कि भारत पर अब सेकेंडरी सैंक्शंस की भी तैयारी है।
भारत पर अब कुल टैरिफ 50% तक पहुंच चुका है, जो अमेरिकी इतिहास में अब तक का सबसे कठोर व्यापारिक दबाव है। ट्रंप प्रशासन का ताजा फैसला भारत द्वारा रूस से तेल आयात जारी रखने को लेकर है। भारत सरकार ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है और अमेरिकी कदम को गलत, अनुचित और अन्यायपूर्ण करार दिया है।
व्हाइट हाउस में पत्रकारों से बातचीत करते हुए ट्रंप ने बुधवार देर रात कहा, "अभी तो केवल 8 घंटे ही हुए हैं। अभी बहुत कुछ होना बाकी है। बहुत सारे सेकेंडरी सैंक्शंस आने वाले हैं।"
यह बयान भारत पर लगे 25% अतिरिक्त टैरिफ के संदर्भ में आया। ट्रंप से जब पूछा गया कि चीन जैसे कई देश भी रूस से तेल खरीद रहे हैं, लेकिन सिर्फ भारत पर ही इतनी सख्ती क्यों, तो उन्होंने सीधा जवाब देने से बचते हुए संकेत दिया कि आने वाले दिनों में और भी कड़े कदम उठाए जाएंगे।
बुधवार को ही ट्रंप ने एग्जीक्यूटिव ऑर्डर पर हस्ताक्षर कर भारत पर 27 अगस्त से अतिरिक्त 25% टैरिफ लगाने की घोषणा की। इससे पहले 7 अगस्त से 25% टैरिफ पहले ही लागू हो चुका है, यानी कुल 50% टैरिफ अब भारत के उत्पादों पर लगेगा।
ट्रंप प्रशासन ने अपने आधिकारिक आदेश में कहा है, "भारत सरकार प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रूस से तेल आयात कर रही है। इससे रूस को आर्थिक लाभ मिल रहा है, जो यूक्रेन युद्ध के दौरान अमेरिका की प्रतिबंध नीति के विपरीत है।"
आदेश में कहा गया है कि इस स्थिति में अमेरिका में दाखिल होने वाले भारत के सभी सामानों पर 25% अतिरिक्त आयात शुल्क लगाया जाएगा। हालांकि, इसमें कुछ छूट भी दी गई है। जैसे- यदि कोई उत्पाद पहले ही समुद्र में लद चुका है, या वह अमेरिका में कुछ नियत तारीख से पहले पहुंच गया हो, उन पर यह शुल्क लागू नहीं होगा।
बता दें कि मार्च 2022 में अमेरिका ने रूस से तेल आयात पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया था, लेकिन भारत ने अपनी ऊर्जा जरूरतों को देखते हुए रूसी कच्चे तेल की खरीद जारी रखी।
अमेरिकी निर्णय के तुरंत बाद भारत के विदेश मंत्रालय ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। आधिकारिक बयान में कहा गया, "अमेरिका ने हाल ही में भारत के रूस से किए जा रहे तेल आयात को निशाना बनाया है। हमने पहले ही स्पष्ट किया है कि भारत बाजार की स्थिति के आधार पर तेल खरीदता है और इसका उद्देश्य 140 करोड़ भारतीयों की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करना है।"
बयान में आगे कहा गया, "यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अमेरिका भारत पर अतिरिक्त टैरिफ लगा रहा है, जबकि अन्य देश भी अपने हित में यही कर रहे हैं। हम दोहराते हैं कि यह कदम अनुचित, नाजायज और गलत है। भारत अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए हर आवश्यक कदम उठाएगा।"
ये भी पढ़ें: भारत-अमेरिका टैरिफ वॉर के बीच पीएम मोदी का सख्त संदेश, बोले- किसानों के हितों से समझौता नहीं होगा
सेकेंडरी सैंक्शंस वे प्रतिबंध होते हैं जो सीधे किसी देश पर नहीं, बल्कि उसके सहयोगी या कारोबारी संस्थाओं पर लगाए जाते हैं। इसका मतलब यह है कि अमेरिका उन बैंकों, बीमा कंपनियों और शिपिंग एजेंसियों को टारगेट कर सकता है जो भारत के जरिए रूस से तेल खरीद में शामिल हैं।
इससे भारत की तेल खरीद प्रक्रिया और भुगतान प्रणाली प्रभावित हो सकती है। खासकर उन निजी कंपनियों पर असर पड़ेगा जो वैश्विक वित्तीय नेटवर्क का इस्तेमाल करती हैं और अमेरिकी प्रतिबंधों से बचना चाहती हैं।