Mithilesh Yadav
7 Oct 2025
Peoples Reporter
7 Oct 2025
Shivani Gupta
7 Oct 2025
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को दिल्ली में आयोजित एमएस स्वामीनाथन शताब्दी अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में अमेरिका द्वारा कृषि और डेयरी उत्पादों पर भारत में दबाव बनाए जाने को लेकर सख्त संदेश दिया। बिना अमेरिका का नाम लिए पीएम मोदी ने कहा कि भारत अपने किसानों, पशुपालकों और मछुआरों के हितों से कभी समझौता नहीं करेगा, भले ही इसके लिए उन्हें व्यक्तिगत रूप से बड़ी कीमत क्यों न चुकानी पड़े।
यह बयान उस वक्त आया है जब अमेरिका ने भारत से भेजे जा रहे सामानों पर दो चरणों में 50% तक टैरिफ लागू करने का ऐलान कर दिया है। अमेरिका चाहता है कि भारत अपने कृषि और डेयरी सेक्टर को विदेशी कंपनियों के लिए खोले, लेकिन भारत सरकार इसके खिलाफ स्पष्ट रुख अपनाए हुए है।
अमेरिका ने 7 अगस्त से भारत से आने वाले सामानों पर 25% टैरिफ लगा दिया है, जबकि अतिरिक्त 25% टैरिफ 27 अगस्त से लागू होगा। इससे भारतीय उत्पाद अमेरिकी बाजार में महंगे हो जाएंगे, जिससे उनकी मांग घटने की आशंका है। अमेरिकी इम्पोर्टर्स अब अन्य देशों से सामान मंगवा सकते हैं।
दरअसल, अमेरिका का उद्देश्य है कि उसे भारत के एग्रीकल्चर और डेयरी सेक्टर में प्रवेश मिले। अमेरिकी कंपनियां दावा करती हैं कि उनके डेयरी उत्पाद जैसे दूध, पनीर और घी स्वच्छ, गुणवत्ता युक्त और सस्ते हैं और इन्हें भारतीय बाजार में अनुमति मिलनी चाहिए।
लेकिन भारत सरकार को आशंका है कि इससे देश के करोड़ों छोटे किसानों और पशुपालकों की आजीविका पर गहरा असर पड़ेगा। भारत में डेयरी सेक्टर बहुत बड़े स्तर पर स्थानीय स्तर पर संगठित है और इसका सामाजिक-आर्थिक महत्व भी बहुत अधिक है। इसके अलावा, भारतीय उपभोक्ता शुद्ध शाकाहारी डेयरी उत्पादों की मांग करते हैं, जबकि अमेरिकी डेयरी उत्पादों में जानवरों की हड्डियों से बने एंजाइम, जैसे रैनेट का उपयोग होता है। इस कारण भारत ने ऐसे उत्पादों को लेकर कड़े प्रतिबंध लगा रखे हैं।
सिर्फ डेयरी ही नहीं, अमेरिका भारत में गेहूं, चावल, मक्का, सोयाबीन, सेब, अंगूर जैसे उत्पादों पर आयात शुल्क घटाने की मांग भी कर रहा है। इसके अलावा, जेनेटिकली मॉडिफाइड (GMO) फसलों को भी भारत में बेचने की कोशिश होती रही है, जिसे भारत की सरकार और किसान संगठन लगातार खारिज करते आए हैं।
सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी ने देश के किसानों की उपलब्धियों और सरकार की योजनाओं का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि पीएम किसान सम्मान निधि के तहत मिलने वाली सीधी सहायता ने छोटे किसानों को आत्मबल दिया है। साथ ही प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना ने किसानों को प्राकृतिक आपदाओं और फसल नुकसान के जोखिम से सुरक्षा दी है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना ने सिंचाई की समस्याओं को दूर किया है और देश में 10 हजार किसान उत्पादक संगठन (FPOs) का निर्माण करके छोटे किसानों को संगठित किया गया है। साथ ही, ई-नाम (e-NAM) प्लेटफॉर्म के जरिए किसानों को अपनी उपज को बेहतर दाम पर बेचने में सहायता मिली है।
प्रधानमंत्री मोदी ने महान कृषि वैज्ञानिक प्रोफेसर एमएस स्वामीनाथन को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उन्होंने भारत की खाद्य सुरक्षा को जीवन का ध्येय बना लिया था। उन्होंने विज्ञान को जनसेवा का माध्यम बनाया और आने वाली कई पीढ़ियों को मार्गदर्शन देने वाली चेतना जगाई।
मोदी ने बताया कि जब वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब राज्य को सूखा और चक्रवात जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता था। उस समय उन्होंने मृदा स्वास्थ्य कार्ड की शुरुआत की थी, जिस पर प्रो. स्वामीनाथन ने विशेष रुचि ली और मार्गदर्शन दिया। उनके सुझावों की वजह से यह योजना सफल हुई।
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अपने भाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि इसके लिए व्यक्तिगत रूप से कोई कीमत क्यों न चुकानी पड़े, मैं तैयार हूं।
[quote name="पीएम मोदी" quote="मैं जानता हूं कि व्यक्तिगत रूप से मुझे बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी, लेकिन मैं इसके लिए तैयार हूं। हमारे किसानों, पशुपालकों और मछुआरों का हित सर्वोच्च है।" st="quote" style="1"]
उनका यह बयान साफ संकेत है कि अमेरिका के दबाव के बावजूद भारत अपनी कृषि नीति में कोई नरमी नहीं बरतेगा।