Peoples Reporter
7 Oct 2025
वॉशिंगटन डीसी।
शुक्रवार देर रात ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर पोस्ट कर बैठक की तारीख और स्थान का ऐलान किया। उन्होंने लिखा,
अमेरिका और रूस के राष्ट्राध्यक्ष पिछली बार जून 2021 में मिले थे, जब तत्कालीन राष्ट्रपति जो बाइडेन और पुतिन ने जिनेवा में मुलाकात की थी। इसके बाद से दोनों देशों के रिश्तों में तनाव रहा, खासकर फरवरी 2022 में रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद।
ट्रंप और पुतिन के बीच इस साल अब तक चार बार सीधी बातचीत हो चुकी है
12 फरवरी 2025: यूक्रेन युद्ध खत्म करने पर चर्चा
18 मार्च 2025: युद्धविराम और शांति समझौते पर बात
19 मई 2025: दो घंटे लंबी वार्ता में कई मुद्दों पर चर्चा
4 जून 2025: यूक्रेन और ईरान मुद्दे पर एक घंटे की बात
पिछले हफ्ते ट्रंप के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ ने मॉस्को में पुतिन से तीन घंटे मुलाकात की थी, जिसे दोनों पक्षों ने “रचनात्मक” बताया।
व्हाइट हाउस में पत्रकारों से बातचीत में ट्रंप ने संकेत दिया कि संभावित शांति समझौते में कुछ क्षेत्रों की अदला-बदली हो सकती है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, रूस खेरसॉन और ज़ापोरिज्जिया में सैन्य कार्रवाई रोकने का प्रस्ताव दे सकता है।
ट्रंप ने कहा, “हम कुछ क्षेत्र वापस लाने और कुछ बदलने की कोशिश कर रहे हैं। यह जटिल है, लेकिन यह दोनों के हित में होगा।”
विश्लेषकों के मुताबिक, रूस उन इलाकों को छोड़ने पर विचार कर सकता है जो उसके कब्जे वाले चार क्षेत्रों से बाहर हैं। हालांकि, यह पूर्ण युद्धविराम नहीं होगा, बल्कि अस्थाई रूप से हवाई हमले रोकने का प्रस्ताव हो सकता है।
मई के बाद रूस ने यूक्रेन पर सबसे बड़े हवाई हमले किए हैं, जिनमें सिर्फ कीव में 72 लोगों की मौत हुई। यूक्रेन भी रूसी तेल रिफाइनरियों और डिपो पर हमले जारी रखे हुए है।
रूस पर दबाव बनाने के लिए ट्रंप ने चेतावनी दी है कि अगर शांति समझौते पर सहमति नहीं बनी, तो रूस और उसके निर्यात खरीदने वाले देशों पर नई पाबंदियां और टैरिफ लगाए जाएंगे। इसी हफ्ते अमेरिका ने रूसी तेल खरीदने को लेकर भारत पर 25% अतिरिक्त शुल्क लगाने का ऐलान किया, जिससे ट्रंप की आलोचना भी हो रही है।
यह बैठक ऐसे समय हो रही है जब यूक्रेन युद्ध को तीन साल पूरे हो चुके हैं और अब तक कई दौर की बातचीत नाकाम रही है। ट्रंप और पुतिन की मुलाकात को इस संघर्ष को समाप्त करने की संभावित चाबी माना जा रहा है, लेकिन दोनों पक्षों की शर्तों में अभी भी बड़ा अंतर है।