Peoples Reporter
7 Oct 2025
वॉशिंगटन डीसी।
शांति समझौते के साथ ही दोनों देशों ने अमेरिका के साथ ऊर्जा, तकनीक और आर्थिक सहयोग बढ़ाने के लिए कई द्विपक्षीय समझौतों पर भी हस्ताक्षर किए। ‘ट्रंप रूट’ पर रेलमार्ग, तेल-गैस पाइपलाइन और फाइबर ऑप्टिक लाइन बिछाने पर अगले हफ्ते से बातचीत शुरू होगी। अमेरिका को इस गलियारे के विकास के विशेष अधिकार भी दिए गए हैं, जिससे दक्षिण काकेशस क्षेत्र में ऊर्जा निर्यात और व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा।
समझौते के दौरान दोनों नेताओं ने ट्रंप को संघर्ष समाप्त कराने के लिए श्रेय देते हुए कहा कि उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया जाना चाहिए। अलीयेव ने कहा, "अगर राष्ट्रपति ट्रंप को यह पुरस्कार नहीं मिलता, तो किसे मिलना चाहिए?" ट्रंप ने भी इस दिन को आर्मेनिया, अजरबैजान और पूरी दुनिया के लिए ऐतिहासिक बताया।
नागोर्नो-काराबाख विवाद की शुरुआत 1988 में हुई थी, जब सोवियत संघ के कमजोर पड़ने के दौरान इस क्षेत्र की संसद ने आर्मेनिया के साथ जुड़ने का फैसला किया। यहां बहुसंख्यक आबादी आर्मेनियाई है, जबकि यह इलाका कानूनी रूप से अजरबैजान का हिस्सा है। इस फैसले के बाद दोनों समुदायों के बीच हिंसक झड़पें हुईं, जिसमें 30 हजार से अधिक लोग मारे गए और 10 लाख से ज्यादा को पलायन करना पड़ा। 2023 में अजरबैजान ने नागोर्नो-काराबाख पर पूरा नियंत्रण हासिल कर लिया, जिसके बाद लगभग एक लाख जातीय आर्मेनियाई लोगों को आर्मेनिया जाना पड़ा।
ट्रंप इससे पहले भारत-पाकिस्तान, थाईलैंड-कंबोडिया, रवांडा-कांगो, सर्बिया-कोसोवो, मिस्र-इथियोपिया और इजराइल-ईरान के बीच संघर्ष रोकने का दावा भी कर चुके हैं। हालांकि, भारत ने उनके दावे को खारिज किया है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह समझौता दक्षिण काकेशस के भू-राजनीतिक परिदृश्य को बदल सकता है और रूस के प्रभाव को चुनौती दे सकता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस शांति समझौते से न केवल क्षेत्र में स्थिरता आएगी, बल्कि रूस, तुर्की, ईरान और यूरोप को जोड़ने वाले व्यापारिक रास्ते भी खुलेंगे। लंबे समय से बंद सीमाएं खुलने से तेल-गैस निर्यात में वृद्धि होगी और दक्षिण काकेशस एक नए आर्थिक कॉरिडोर के रूप में उभर सकता है।
ये भी पढ़ें: भारत-अमेरिका व्यापार विवाद में नया मोड़ : 50% टैरिफ के बाद भी ट्रंप के तेवर गरम, बोले- बात तब होगी, जब...