Aniruddh Singh
26 Sep 2025
मुंबई। साल 2025 में सिल्वर ईटीएफ ने निवेशकों को अब तक लगभग 55% तक का शानदार रिटर्न दिया है। यह तेजी मुख्यतः सोने की कीमतों में आए ब्रेकआउट और बाजार में चांदी की आपूर्ति में कमी और मांग बढ़ने के कारण संभव हुई है। चीन के सोलर सेक्टर से आने वाली औद्योगिक मांग ने चांदी की कीमतों को मजबूती दी है। विशेषज्ञों का मानना है कि चांदी को पोर्टफोलियो का मुख्य आधार नहीं माना जा सकता, बल्कि यह एक सामरिक या अवसरवादी निवेश के रूप में अधिक उपयुक्त है। मार्केट रिपोर्ट के अनुसार, जून 2025 से चांदी लगातार ऊपर की ओर बढ़ रही है और सोने के ब्रेकआउट के बाद इसे नई मजबूती मिली है। साथ ही, लंदन मार्केट में तरलता घटने और आपूर्ति की कमी ने भी चांदी की तेजी को बल दिया है।
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अमेरिका द्वारा पिछले माह तांबे पर 50% टैरिफ लगाने की घोषणा ने यह आशंका पैदा की कि भविष्य में चांदी पर भी ऐसे कदम उठ सकते हैं। हालांकि फिलहाल दरें थोड़ी कम हुई हैं, फिर भी वे हाल के वर्षों की तुलना में उच्च स्तर पर बनी हुई हैं। अगस्त में भी चांदी की कीमतें मजबूत रहीं, जिसका कारण आपूर्ति में कमी और औद्योगिक क्षेत्र, विशेषकर सोलर पैनल उत्पादन में बढ़ती मांग रहा है। इस दौरान लगभग 21 सिल्वर फंड्स ने निवेशकों को उच्च रिटर्न दिए। इनमें एचडीएफसी सिल्वर ईटीएफ फंड ने अब तक सबसे अधिक 54.57% का रिटर्न दिया है। इसके बाद एसबीआई सिल्वर ईटीएफ एफओएफ ने 54.54%, निप्पॉन इंडिया सिल्वर ईटीएफ ने 54.46%, आदित्य बिड़ला सन लाइफ सिल्वर ईटीएफ ने 54.40% और आईसीआईसीआई प्रू सिल्वर ईटीएफ ने 54.38% का रिटर्न दिया है।
वहीं, यूटीआई सिल्वर ईटीएफ ने 53.21% और टाटा सिल्वर ईटीएफ ने 51.45% अपेक्षाकृत कम रिटर्न दिया। अब सवाल यह है कि इतनी शानदार कमाई के बावजूद क्या चांदी को लंबी अवधि के लिए कोर पोर्टफोलियो में शामिल किया जाना चाहिए? विशेषज्ञों का मानना है कि किसी भी एसेट को कोर पोर्टफोलियो का हिस्सा बनाने से पहले यह देखना जरूरी है कि वह चार मुख्य भूमिकाओं में से किसी को निभाता है या नहीं-यानी लंबी अवधि का रिटर्न बढ़ाना, पोर्टफोलियो की अस्थिरता कम करना, संकट के समय सुरक्षा प्रदान करना और नियमित आय उत्पन्न करना। इतिहास और आंकड़ों के आधार पर चांदी इन भूमिकाओं को पूरा नहीं करती। चांदी लंबी अवधि में पोर्टफोलियो का रिटर्न बढ़ाने में सक्षम नहीं रही है और इसकी तुलना पारंपरिक कोर एसेट्स जैसे इक्विटी या सोने से की जाए तो यह अधिक अस्थिर है।
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इसके अलावा, संकट के समय सोने की तरह सुरक्षा प्रदान करने की इसकी क्षमता साबित नहीं हुई है। अक्सर शेयर बाजार में गिरावट के दौरान चांदी भी नीचे जाती है, जबकि सोना ऐसे दौर में स्थिर या ऊंचाई पर बना रहता है। एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि चांदी से कोई नियमित आय उत्पन्न नहीं होती। इसलिए यह उन निवेशकों के लिए उपयुक्त नहीं है जो स्थिर नकदी प्रवाह की तलाश में रहते हैं। यही वजह है कि विशेषज्ञ चांदी को एक सामरिक या अवसरवादी निवेश मानते हैं, न कि कोर पोर्टफोलियो का हिस्सा। संक्षेप में, 2025 में सिल्वर ईटीएफ ने शानदार रिटर्न दिया है और निकट अवधि में इसमें अवसर मौजूद हैं। लेकिन दीर्घकालिक स्थिरता, जोखिम संतुलन और संकट सुरक्षा जैसे लक्ष्यों को देखते हुए चांदी एक सहायक या थीमैटिक निवेश है, न कि रणनीतिक पोर्टफोलियो का अनिवार्य घटक।