चेन्नई। तमिलनाडु के करूर में अभिनेता और राजनेता विजय की रैली में भगदड़ मचने के 39 लोगों की मौत होने की खबर है। हादसे में मरने वालों में 10 बच्चे, 17 महिलाएं और 12 पुरुष शामिल हैं। 80 से अधिक लोग विभिन्न अस्पतालों में भर्ती कराए गए हैं। एक बच्ची के गुम होने की खबर के बाद रैली में बड़ी संख्या में जुटी भीड़ अचानक अनियंत्रित होकर तेजी से बढ़ी जिसमें कई लोग गिर पड़े। भीड़ गिरे हुए लोगों को रौंदते हुए आगे बढ़ते गए। पार्टी कार्यकतार्ओं और आम नागरिकों के बीच मची भगदड़ ने डर और अफरातफरी का माहौल पैदा कर दिया। घटना के दौरान विजय अपने भाषण के बीच में ही रुके और स्थिति को संभालने का प्रयास किया। उन्होंने अपने प्रचार वाहन की छत पर खड़े होकर भीड़ में फंसे लोगों को राहत देने के लिए पानी की बोतलें फेंकी और लोगों से शांत होने की अपील की। लेकिन किसी ने उनकी एक नहीं सुनी। सड़क पर भारी भीड़ और जाम की वजह से घटना में घायलों को अस्पताल पहुंचाना कठिन हो गया। भीड़ की वजह से एम्बुलेंस की आवाजाही बाधित हो गई।
पीएम मोदी और सीएम स्टालिन ने जताया दुख
मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने स्थिति की गंभीरता पर चिंता व्यक्त करते हुए अधिकारियों को तुरंत चिकित्सा सहायता प्रदान करने और स्थिति को नियंत्रण में लाने के निर्देश दिए। उन्होंने पूर्व मंत्री वी. सेनथिल बालाजी, मंत्री सुब्रमणियन.एमए और जिला कलेक्टर को निर्देशित किया कि प्रभावित जनता को त्वरित चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाए। साथ ही मंत्री अंबिल महेश को घटनास्थल पर जाकर तत्काल सहायता प्रदान करने का निर्देश दिया गया। मुख्यमंत्री ने सभी नागरिकों, डॉक्टरों और पुलिस से पूरी सहयोग की अपील भी की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दुखद घटना पर ट्वीट कर संवेदना व्यक्त की। उन्होंने प्रभावित परिवारों के प्रति शोक जताते हुए कहा कि इस कठिन समय में उन्हें मानसिक शक्ति मिले और घायलों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की प्रार्थना की।
पूर्व द्रमुक नेता बालाजी घायलों कोे देखने अस्पताल पहुंचे
इस बीच, पूर्व द्रमुक नेता वी. सेनथिल बालाजी घायलों के इलाज के लिए अस्पताल पहुंचे और पीड़ितों से मुलाकात की। इस घटना ने तमिलनाडु में राजनीतिक रैलियों और भीड़ प्रबंधन की चुनौतियों पर नई बहस छेड़ दी है। रैली के आयोजकों और अधिकारियों ने कहा कि घटना अचानक हुई और भारी भीड़ का सही तरीके से प्रबंधन करना मुश्किल हो गया। लेकिन यह भी साफ किया गया कि भगदड़ का कारण केवल भीड़ का दबाव नहीं था, बल्कि आपात परिस्थितियों में बचाव और निकासी के लिए पर्याप्त व्यवस्थाएं न होने की वजह से स्थिति और बिगड़ गई। राजनीतिक और सामाजिक दोनों स्तरों पर इस घटना ने चिंता बढ़ा दी है। विशेषज्ञों का कहना है कि बड़े सार्वजनिक कार्यक्रमों में सुरक्षा प्रोटोकॉल और आपातकालीन व्यवस्थाओं का सख्ती से पालन करना आवश्यक है, ताकि भविष्य में ऐसे हादसों को रोका जा सके।