Aditi Rawat
10 Nov 2025
Manisha Dhanwani
10 Nov 2025
ढाका। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) ने गुरुवार को घोषणा की है कि, वह 17 नवंबर को हसीना के खिलाफ फैसला सुनाएगा। हसीना पर जुलाई 2024 के छात्र आंदोलन के दौरान सैकड़ों लोगों की हत्या और मानवता के खिलाफ अपराध के गंभीर आरोप हैं।
जुलाई 2024 में बांग्लादेश में छात्रों के नेतृत्व वाले आंदोलन ने देशभर में विरोध और हिंसा फैलाई। प्रदर्शनकारियों ने अवामी लीग की 20 साल पुरानी सरकार के खिलाफ मार्च किया। 5 अगस्त 2024 को हसीना ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और भारत चली गईं। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, इस आंदोलन और विरोध प्रदर्शन के दौरान लगभग 1,400 लोग मारे गए। सरकार पर आरोप लगे कि प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग, अपहरण और टॉर्चर किए गए।
शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग ने 17 नवंबर को राष्ट्रव्यापी बंद का ऐलान किया है। इसके चलते ढाका और अन्य प्रमुख शहरों में जनजीवन प्रभावित हुआ। बंद को देखते हुए सेना और पुलिस सहित सुरक्षाबलों को अहम स्थानों पर तैनात किया गया है। पार्टी नेताओं ने सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों से शांतिपूर्ण प्रदर्शन और बंद का समर्थन करने की अपील की।
मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने अवामी लीग और उससे जुड़े संगठनों की गतिविधियों पर कई प्रतिबंध लगाए हैं। इसके बावजूद पार्टी ने बंद का आह्वान जारी रखा।
शेख हसीना पर मानवता के खिलाफ अपराध, हत्या, अपहरण, टॉर्चर और जांच प्रक्रिया में बाधा डालने के आरोप हैं। ICT ने उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था, लेकिन वह कोर्ट में पेश नहीं हुईं। 17 नवंबर को केवल फैसले की तारीख तय होगी, सजा की घोषणा बाद में की जाएगी।
शेख हसीना पहली बार 1996 में प्रधानमंत्री बनीं। इसके बाद 2001 से 2009 तक विपक्ष की नेता रहीं। वह 2009, 2014 और जनवरी 2024 में लगातार पांचवीं बार प्रधानमंत्री बनीं। जुलाई 2024 के छात्र आंदोलन ने उनकी सरकार को उखाड़ दिया और उन्हें भारत शरण लेनी पड़ी।