Aniruddh Singh
7 Oct 2025
मुंबई। अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ लागू करने की समय सीमा को 90 दिन के लिए और बढ़ाए जाने के बावजूद भारतीय शेयर बाजार इस समय गिरावट में ट्रेड करता दिखाई दे रहा है। हालांकि, आज सुबह शेयर बाजार के दोनों प्रमुख सूचकांकों ने बढ़त के साथ कारोबार की शुरुआत की लेकिन दोपहर तक बाजार लाल निशान में फिसल गए। सुबह के कारोबार में सेंसेक्स 394 अंक चढ़कर 80,997.67 के इंट्राडे हाई तक जा पहुंचा, लेकिन वहां से इसमें लगभग 599 अंकों की गिरावट आई और 11:40 बजे तक यह 80,398.23 पर कारोबार करता दिखाई दिया। सेंसेक्स इस समय 1.50 बजे 99.38 अंकों या 0.12% प्रतिशत गिरावट के साथ 80,504.70 के स्तर पर ट्रेड कर रहा है। जबकि, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 11:40 बजे के आसपास 117.55 अंक चढ़कर 24,702.60 के स्तर को छूने के बाद गिरावट का शिकार होकर 24,600 के नीचे आ गया। इस समय 1.50 के आसपास यह 18.80 अंक की गिरावट के साथ 24,566.25 के स्तर पर ट्रेड कर रहा है। इस तेज उतार-चढ़ाव के पीछे कई घरेलू और अंतरराष्ट्रीय कारण जिम्मेदार माने जा रहे हैं।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निवेशक अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की 15 अगस्त को अलास्का में होने वाली बैठक पर नजर रख रहे हैं। अमेरिका-चीन के बीच 90 दिन का ट्रेड युद्ध विराम आईटी शेयरों को कुछ सपोर्ट देता दिखाई दिया, लेकिन अमेरिका-रूस वार्ता के नतीजों से पहले बाजार में तेजी सीमित दिख रही है। भू-राजनीतिक घटनाक्रमों का असर निवेशकों की जोखिम उठाने की सामर्थ्य पर पड़ता है और यही वजह है कि निवेशक सतर्क रुख अपना रहे हैं। घरेलू मोर्चे पर भी निवेशक सतर्क हैं क्योंकि भारत के जुलाई माह के खुदरा महंगाई दर के आंकड़े आज शेयर बाजार बंद होने के बाद जारी किए जाएंगे। एक अनुमान के अनुमान के अनुसार महंगाई दर के आठ साल के निचले स्तर 1.76% पर रहने का अनुमान है। वहीं, अमेरिका का कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (सीपीआई) के आंकड़े भी आज ही आने वाले हैं, जो फेडरल रिजर्व के ब्याज दरों पर फैसले को प्रभावित करेंगे। दोनों आंकड़े घरेलू और वैश्विक बाजारों को प्रभावित करेंगे। विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की बिकवाली भी बाजार पर दबाव बना रही है। एक्सचेंज के आंकड़ों के अनुसार, सोमवार को एफआईआई ने 1,202.65 करोड़ के शेयर बेचे। अगस्त में अब तक एफआईआई की कुल शुद्ध बिकवाली 15,221.52 करोड़ तक जा पहुंची है। विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली ने बाजार पर नकारात्मक असर डाल रही है।
कमोडिटी बाजार में, कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी से भी निवेशकों की चिंता बढ़ी है। ब्रेंट क्रूड का फ्यूचर्स मंगलवार को 0.33% बढ़कर 66.85 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया। भारत जैसे तेल आयातक देश के लिए यह चिंता का विषय है क्योंकि इससे आयात बिल बढ़ सकता है और महंगाई पर दबाव आ सकता है। बाजार की अस्थिरता को दिखाने वाला इंडिया विक्स मंगलवार को 1 फीसदी से अधिक बढ़कर 12.35 पर पहुंच गया। विक्स में बढ़ोतरी आमतौर पर निवेशकों की घबराहट और बाजार में अनिश्चितता का संकेत देती है। इससे पता चलता है कि अल्पावधि में बाजार में उतार-चढ़ाव जारी रह सकता है। तकनीकी दृष्टि से, निफ्टी की तेजी 24,590 के पास रुक गई है, जो सतर्कता और संभावित पुलबैक का संकेत है। हालांकि डेली ऑस्सिलेटर अब भी पॉजिटिव हैं, जिससे निफ्टी के 25,000 या उससे ऊपर जाने की संभावना बनी हुई है, लेकिन इसके लिए पहले उसे 24,670, 24,720 और 24,850 का स्तर पार करना होगा। अगर 50 शेयरों वाला बेंचमार्क इंडेक्स निफ्टी 24,590 अंक के ऊपर टिकने में असफल रहता है तो रुझान कमजोर होकर 24,450 के सपोर्ट स्तर तक जा सकता है। कुल मिलाकर, बाजार की मौजूदा स्थिति घरेलू और वैश्विक दोनों ही मोर्चों पर आने वाले अहम घटनाक्रमों पर निर्भर है। अमेरिका-रूस बैठक, अमेरिका और भारत के महंगाई आंकड़े, विदेशी निवेशकों की गतिविधियां और कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव आने वाले दिनों में शेयर बाजार की दिशा तय करेंगे। निवेशकों के लिए यह समय सतर्क और सोच-समझकर निवेश करने का है।