Aniruddh Singh
7 Oct 2025
नई दिल्ली। देश में खुदरा महंगाई दर जुलाई महीने में गिरकर 1.55% के स्तर पर आ गई, जो जून 2017 के बाद का सबसे निचला स्तर है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, यह पहली बार है जब खुदरा महंगाई दर भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) के 2% से 6% के सहनशीलता दायरे से नीचे पहुंची है। अप्रैल 2025 में यह दर 3.16% थी और जुलाई 2024 में 3.54% थी। यह गिरावट बाजार के अनुमान से भी अधिक है, क्योंकि रॉयटर्स के एक सर्वे में 1.76% का अनुमान लगाया गया था। इस गिरावट का सबसे बड़ा कारण खाद्य कीमतों में गिरावट रह है, जिसने महंगाई के दबाव को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। खाद्य महंगाई, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) का लगभग आधा हिस्सा होती है। खाद्य महंगाई जुलाई में -1.76% रही, जो पिछले महीने के -1.06% से भी कम है। इसका मतलब है कि औसतन खाद्य वस्तुओं की कीमतें घट रही हैं। असमान मानसून के बावजूद अच्छी फसल ने खाद्य आपूर्ति को स्थिर रखा है, जिससे पिछले एक दशक में देश का सबसे लंबा ‘डिसइन्फ्लेशन’ यानी लगातार महंगाई में कमी का दौर जारी है।
ये भी पढ़ें: शेयर बाजार : सेंसेक्स 368.49 अंक गिरकर 80,235.59 के स्तर पर बंद, निफ्टी में 97.65 अंक की गिरावट
आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने पिछले सप्ताह नीतिगत ब्याज दर को 5.50% पर अपरिवर्तित रखा था और महंगाई के दृष्टिकोण को अधिक अनुकूल बताया था। फरवरी से अब तक तीन बार ब्याज दर में कटौती की जा चुकी है, जिससे कुल 100 आधार अंकों की कमी आई है। केंद्रीय बैंक ने अपनी न्यूट्रल नीति को बनाए रखा है। महंगाई में यह नरमी आरबीआई को अर्थव्यवस्था को और समर्थन देने का अवसर देती है, खासकर तब जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय वस्तुओं पर शुल्क में भारी बढ़ोतरी की है, जिससे निर्यात पर दबाव पैदा हो गया है। आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि इन नतीजों के बाद आरबीआई आर्थिक विकास को प्रोत्साहन देने के लिए रेपो दर में एक और कटौती पर विचार कर सकता है।
ईंधन और रोशनी श्रेणी में जुलाई में महंगाई दर 2.67% रही, जो जून के 2.55% से थोड़ी अधिक है। सब्जियों की कीमतें जुलाई में -20.69% रहीं, जो जून के -19% से भी कम हैं, यानी सब्जियों के दाम और गिरे हैं। दालों के दाम भी जुलाई में 13.76% गिरे, जबकि जून में यह गिरावट 11.76% थी। ग्रामीण क्षेत्रों में खुदरा महंगाई दर 1.18% और शहरी क्षेत्रों में 2.05% दर्ज की गई। आरबीआई ने चेतावनी दी है कि चालू वित्त वर्ष 2025–26 की अंतिम तिमाही में महंगाई दर फिर से बढ़ सकती है, क्योंकि खाद्य कीमतों में अस्थिरता बनी हुई है।
ये भी पढ़ें: अमेरिकी अरबपति एलन मस्क ने एप्पल पर लगाया एंटीट्रस्ट कानून के उल्लंघन का आरोप, कहा कानूनी कार्रवाई करेंगे
हालांकि भू-राजनीतिक अनिश्चितताएं कुछ हद तक कम हुई हैं, लेकिन वैश्विक व्यापार में नए आयात-निर्यात शुल्कों का असर जारी है। पूरे वित्त वर्ष 2025–26 के लिए आरबीआई ने हेडलाइन महंगाई दर का अनुमान घटाकर 3.1% कर दिया है, जो जून में 3.70% था। वहीं, वित्त वर्ष 2026–27 की पहली तिमाही में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) के 4.9% रहने का अनुमान है, जो आरबीआई के 4% के लक्ष्य से ऊपर है। तिमाहीवार अनुमान के अनुसार दूसरी तिमाही में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक 2.1%, तीसरी तिमाही में 3.1% और चौथी तिमाही में 4.4% रहने का अनुमान है। केंद्रीय बैंक ने कहा है कि महंगाई के दृष्टिकोण से जुड़े जोखिम संतुलित हैं, जबकि कोर महंगाई 4% पर स्थिर है।
कुल मिलाकर, जुलाई में खुदरा महंगाई दर का 1.55% तक गिरना भारतीय उपभोक्ताओं के लिए राहत की खबर है। खाद्य वस्तुओं के दाम में भारी गिरावट और स्थिर आपूर्ति ने इस कमी में अहम योगदान दिया है। हालांकि, आने वाले महीनों में यदि खाद्य कीमतें, खासकर सब्जियां, फिर से महंगी होती हैं तो महंगाई दर में वृद्धि संभव है। इसलिए मौजूदा स्थिति को अस्थायी राहत के रूप में देखा जा सकता है, लेकिन दीर्घकालिक स्थिरता के लिए आपूर्ति श्रृंखला और मौसम के रुझानों पर नजर बनाए रखना जरूरी होगा।