People's Reporter
11 Nov 2025
Aniruddh Singh
9 Nov 2025
Aniruddh Singh
9 Nov 2025
Aniruddh Singh
9 Nov 2025
मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) 1 अक्टूबर को होने वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में नीतिगत ब्याज दर 5.50% पर बनाए रख सकता है। रायटर्स के ताजा सर्वेक्षण में सामने आया है कि 2025 के अंत तक इसमें किसी बदलाव की संभावना नहीं है। सर्वेक्षण में शामिल ज्यादातर अर्थशास्त्रियों का मानना है कि फिलहाल दरों में कटौती की गुंजाइश नहीं है और अगर कोई बदलाव हुआ भी तो वह 2026 की शुरूआत में देखने को मिलेगा। भारत की अर्थव्यवस्था ने पिछले तिमाही में 7.8% की सालाना वृद्धि दर्ज की, जो अपेक्षाओं से अधिक है। इस मजबूत वृद्धि के पीछे सरकार द्वारा किए गए बड़े पैमाने पर खर्च का अहम योगदान रहा, लेकिन निजी निवेश अभी भी कमजोर बना हुआ है।
ये भी पढ़ें: केंद्र सरकार ने 10.90 लाख रेलवे कर्मचारियों को दिया 1,866 करोड़ रुपए का दिवाली बोनस
यह संकेत देता है कि आरबीआई द्वारा पहले की गई नीतिगत दरों में कटौती का पूरा प्रभाव अभी अर्थव्यवस्था तक नहीं पहुंच पाया है। निजी निवेश की सुस्ती से यह भी स्पष्ट होता है कि कंपनियां वेतन वृद्धि और रोजगार की स्थिरता को लेकर चिंतित हैं, जिसके कारण वे नए प्रोजेक्ट में पैसा लगाने से हिचक रही हैं। हालांकि मुद्रास्फीति पिछले कई महीनों से आरबीआई के 2% से 6% के दायरे में बनी हुई है, लेकिन रुपये की कमजोरी एक नया खतरा पैदा कर रही है। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट आयात को महंगा बना सकती है, जिससे आने वाले समय में महंगाई पर दबाव बढ़ सकता है। रुपए की कमजोरी का मुख्य कारण वैश्विक अस्थिरता, अमेरिका के साथ व्यापार तनाव और नए वीजा नियमों में बदलाव है, जिसने विदेशी निवेशकों को भारतीय बाजार से पैसा निकालने के लिए मजबूर किया।
ये भी पढ़ें: मुकेश अंबानी को पछाड़कर जल्दी ही फिर एशिया के नंबर एक आरोबारी बन सकते हैं गौतम अडाणी
रायटर्स के 19 से 24 सितंबर के बीच किए गए सर्वेक्षण में शामिल 61 अर्थशास्त्रियों में से 45 ने अनुमान लगाया कि आरबीआई 29 सितंबर से 1 अक्टूबर तक होने वाली बैठक में दरों को यथावत रखेगा। जबकि 16 विशेषज्ञों का मानना है कि बैंक 25 आधार अंकों (0.25%) की मामूली कटौती कर सकता है। कैनरा बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री माधवंकुट्टी जी ने कहा, मैं दरों में कटौती की उम्मीद नहीं कर रहा हूं क्योंकि आरबीआई ने स्पष्ट कर दिया है कि मौद्रिक नीति का अर्थव्यवस्था की वृद्धि को बढ़ाने पर सीमित प्रभाव होता है। फिलहाल निजी निवेश नहीं बढ़ रहा है, क्योंकि वेतन में ज्यादा इजाफा नहीं हुआ और नौकरी की स्थिरता को लेकर भी चिंता बनी हुई है। अगस्त में हुए पिछले सर्वेक्षण में अधिकांश विशेषज्ञों का मानना था कि इस साल के अंत तक कम से कम एक बार दरों में कटौती होगी।
ये भी पढ़ें: यूक्रेन के लगातार हमलों के बावजूद 16 माह के उच्चतम स्तर पर पहुंचा रूस के कच्चे तेल का निर्यात
ताजा सर्वेक्षण में यह धारणा बदल गई है। अब केवल 50 में से 26 विशेषज्ञ ही मानते हैं कि दरों में 2025 तक कोई बदलाव नहीं होगा, जबकि शेष का कहना है कि यह स्थिरता 2026 तक जारी रह सकती है। सर्वेक्षण के अनुसार, 2026 की पहली तिमाही में 25 आधार अंकों की कटौती की संभावना है, लेकिन इसके बाद की दिशा को लेकर कोई स्पष्ट राय नहीं बन पाई है। कुल मिलाकर, आरबीआई का ध्यान फिलहाल आर्थिक स्थिरता बनाए रखने पर है। सरकार के बढ़ते खर्च से विकास दर मजबूत बनी हुई है, लेकिन रुपये की कमजोरी और वैश्विक आर्थिक अस्थिरता बड़ी चुनौतियां पेश कर रही हैं। ऐसे में केंद्रीय बैंक सतर्क रुख अपनाएगा और जल्दबाजी में किसी बड़े बदलाव से बचेगा।