Manisha Dhanwani
28 Oct 2025
Aniruddh Singh
28 Oct 2025
Aniruddh Singh
28 Oct 2025
Aniruddh Singh
28 Oct 2025
नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मार्च 2025 से सितंबर 2025 के बीच 64 टन सोना भारत मंगवाया है। केंद्रीय बैंक ने यह कदम वैश्विक भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं और विदेशी संपत्तियों की सुरक्षा को लेकर बढ़ती चिंताओं की वजह से उठाया है। बीते दो सालों में यानी मार्च 2023 से अब तक, आरबीआई कुल 274 टन सोना भारत वापस ला चुका है। इस तेजी से सोने की वापसी की प्रक्रिया की शुरूआत रूस-यूक्रेन युद्ध और अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद हुई थी, जब जी-7 देशों ने रूस और अफगानिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार को जब्त कर लिया था। इन घटनाओं ने यह संकेत दिया है कि अब वैश्विक वित्तीय प्रणाली में संप्रभु संपत्तियों को विदेशों में रखना जोखिम भरा हो गया है। सितंबर 2025 के अंत तक आरबीआई के पास कुल 880.8 टन सोना था, जिसमें से 575.8 टन भारत में रखा गया है, जबकि 290.3 टन अभी भी बैंक आॅफ इंग्लैंड और बैंक आॅफ इंटरनेशनल सेटलमेंट्स (बीआईएस) के पास सुरक्षित है।
इसके अलावा, लगभग 14 टन सोना आरबीआई के पास गोल्ड डिपॉजिट के रूप में है। मार्च 2025 की स्थिति में आरबीआई के पास कुल 879 टन सोना था, जिसमें से 512 टन भारत में रखा गया था और 348.6 टन विदेशों में रखा गया था। यानी पिछले छह माह में भारत ने 64 टन सोना इंग्लैंड और अन्य विदेशी बैंकों से वापस बुला लिया। आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम बिल्कुल सही समय पर उठाया गया है। आज की दुनिया भू-राजनीतिक रूप से बहुत विभाजित हो चुकी है, जहां कानून और अंतरराष्ट्रीय नियमों की अनदेखी आम हो गई है। रूस के विदेशी मुद्रा भंडार जब्त किए जाने के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि यदि किसी देश की संपत्ति उसके अपने नियंत्रण में नहीं है, तो उसे सुरक्षित नहीं माना जा सकता। यदि सोना आपके कब्जे में नहीं है, तो वह वास्तव में आपका सोना नहीं है। उनका यह बयान संकेत देता है कि भारत जैसे उभरते देश को अपनी परिसंपत्तियों की सुरक्षा के लिए अधिक से अधिक स्वर्ण भंडार देश के भीतर रखना चाहिए।
सोने की तेजी से बढ़ती कीमतों ने भी देश के विदेशी मुद्रा भंडार में इसकी हिस्सेदारी बढ़ा दी है। सितंबर 2025 के अंत तक, आरबीआई के कुल भंडार में सोने का हिस्सा बढ़कर लगभग 13.9 प्रतिशत हो गया है। उसी अवधि में, आरबीआई के कुल विदेशी मुद्रा भंडार 579.18 अरब अमेरिकी डॉलर थे। इसमें से 489.54 अरब डॉलर विदेशी प्रतिभूतियों में निवेश किए गए, 46.11 अरब डॉलर अन्य केंद्रीय बैंकों और बीआईएस में जमा थे, जबकि 43.53 अरब डॉलर विदेशी वाणिज्यिक बैंकों में रखे गए थे। आरबीआई का कहना है कि वह अपने भंडार प्रबंधन में विविधता लाने के लिए नई रणनीतियों और उत्पादों की खोज कर रहा है। इसके तहत भंडार का एक छोटा हिस्सा बाहरी एसेट मैनेजरों द्वारा भी प्रबंधित किया जा रहा है। यह सब आरबीआई अधिनियम, 1934 के तहत अनुमत प्रावधानों के अनुरूप किया जा रहा है। इस रणनीति का मुख्य उद्देश्य देश की वित्तीय संप्रभुता को मजबूत करना और यह सुनिश्चित करना है कि भारत का स्वर्ण भंडार किसी भी अंतरराष्ट्रीय संकट की स्थिति में पूरी तरह सुरक्षित रहे।