Mithilesh Yadav
18 Sep 2025
रायपुर। बहुचर्चित नान घोटाला मामले में आरोपी रिटायर्ड IAS अधिकारी आलोक शुक्ला ने शुक्रवार को रायपुर की ईडी (ED) स्पेशल कोर्ट में सरेंडर कर दिया। वे सुप्रीम कोर्ट के आदेश की कॉपी लेकर कोर्ट पहुंचे थे। कोर्ट ने ईडी को इसकी जानकारी दी है। अब ईडी के वकील केस डायरी के साथ कोर्ट पहुंचेंगे। अगर ईडी आलोक शुक्ला को कस्टडी में नहीं लेती है, तो कोर्ट उन्हें न्यायिक रिमांड पर जेल भेज देगा।
आलोक शुक्ला गुरुवार को भी कोर्ट पहुंचे थे, लेकिन उस समय सुप्रीम कोर्ट का आदेश अपलोड नहीं हुआ था। कोर्ट ने आदेश की कॉपी आने तक सरेंडर कराने से इनकार कर दिया था। इसके बाद आलोक शुक्ला को वापस लौटना पड़ा। बचाव पक्ष के वकील फैजल रिजवी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि आलोक शुक्ला को पहले 2 हफ्ते ईडी की कस्टडी और फिर 2 हफ्ते न्यायिक रिमांड में रहना होगा।
नान घोटाला मामले में आलोक शुक्ला को पहले हाईकोर्ट से जमानत मिल चुकी थी, लेकिन ईडी ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। ईडी ने दलील दी कि आरोपी जांच को प्रभावित कर सकते हैं। जस्टिस सुंदरेश और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने हाईकोर्ट की जमानत रद्द कर दी। कोर्ट ने आदेश दिया कि आलोक शुक्ला और अनिल टुटेजा को 2 हफ्ते ईडी की हिरासत और उसके बाद 2 हफ्ते न्यायिक हिरासत में रहना होगा। इसके बाद ही उन्हें जमानत दी जा सकेगी। साथ ही कोर्ट ने ईडी को 3 महीने और ईओडब्ल्यू (EOW) को 2 महीने में जांच पूरी करने के निर्देश दिए।
नागरिक आपूर्ति निगम (NAN) घोटाला फरवरी 2015 में सामने आया था। उस समय एसीबी और ईओडब्ल्यू ने निगम के 25 परिसरों पर एक साथ छापे मारे थे। छापे में 3.64 करोड़ रुपये नकद, कई दस्तावेज, कंप्यूटर हार्ड डिस्क और डायरी बरामद की गई थी। आरोप है कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के लिए राइस मिलों से घटिया चावल लिया गया और इसके बदले करोड़ों रुपये की रिश्वत ली गई। चावल के भंडारण और परिवहन में भी बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ।
EOW ने एफआईआर में बताया था कि डॉ. आलोक शुक्ला और अनिल टुटेजा ने अपनी ताकत का इस्तेमाल कर तत्कालीन महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा से गलत लाभ लेने की कोशिश की। उन्होंने अधिकारियों पर दबाव बनाकर दस्तावेजों और सरकारी रिकॉर्ड में बदलाव करवाया, ताकि हाईकोर्ट में अपने पक्ष को मजबूत कर सकें और अग्रिम जमानत प्राप्त कर सकें।
आलोक शुक्ला, अनिल टुटेजा और अन्य पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 2018 की धाराओं 7, 7क, 8, और 13(2) के अलावा भारतीय दंड संहिता की धाराएं 182, 211, 193, 195-ए, 166-ए और 120-बी के तहत केस दर्ज किया गया।