Shivani Gupta
8 Nov 2025
वॉशिंगटन डीसी। कैलिफोर्निया में रहने वाले भारतीय-अमेरिकी व्यवसायी और खालिस्तानी विचारधारा के प्रखर विरोधी सुखी चहल की 31 जुलाई को रहस्यमयी परिस्थितियों में मौत हो गई। उनके करीबी दोस्त जसपाल सिंह के मुताबिक, एक परिचित ने उन्हें डिनर पर बुलाया था, जहां भोजन के बाद अचानक उनकी तबीयत बिगड़ गई और मौके पर ही उनकी मृत्यु हो गई।
जसपाल सिंह ने बताया कि सुखी पूरी तरह से स्वस्थ थे। किसी भी प्रकार की बीमारी या स्वास्थ्य समस्या की जानकारी नहीं थी। ऐसे में उनकी अचानक मृत्यु ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। विशेष रूप से इसलिए भी क्योंकि वे 17 अगस्त को वाशिंगटन डीसी में होने वाले खालिस्तान जनमत संग्रह के विरोध में अग्रणी भूमिका निभा रहे थे।
सुखी चहल The Khalsa Today के संस्थापक और सीईओ थे। वे लंबे समय से खालिस्तानी संगठनों के खिलाफ बोलते आ रहे थे और अमेरिका सहित अन्य देशों में इनके नेटवर्क का विरोध करते थे। उन्हें लगातार धमकियां मिल रही थीं, लेकिन इसके बावजूद वे निडर होकर अपने विचार रखते रहे।
कैलिफोर्निया के निवासी बूटा सिंह कलेर के अनुसार, सुखी को खालिस्तान समर्थकों से जान से मारने की धमकियां मिल रही थीं। इसके बावजूद उन्होंने अपने विचारों से कभी समझौता नहीं किया। उनकी मौत भारत समर्थक समुदायों के लिए एक बड़ा झटका है।
सुखी चहल की मौत के बाद स्थानीय पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। उनके शव का पोस्टमॉर्टम कराया जा रहा है, जिसकी रिपोर्ट से मौत के कारणों का खुलासा हो सकेगा। परिवार और उनके करीबियों को इस मौत में साजिश की आशंका है।
सुखी चहल अमेरिका में रहने वाले भारतीय प्रवासियों को हमेशा अमेरिकी कानूनों का पालन करने और अपराध से दूर रहने की सलाह देते थे। उन्होंने हाल ही में सोशल मीडिया पर लिखा था, “अमेरिका कानून और व्यवस्था का देश है। अगर आप अपराध करते हैं तो आपका वीजा रद्द हो सकता है और वापसी मुश्किल हो सकती है।”
पंजाब के मानसा जिले में जन्मे सुखी चहल एक कंप्यूटर इंजीनियर थे। उन्होंने गुरु नानक इंजीनियरिंग कॉलेज (लुधियाना) से पढ़ाई की और बाद में अमेरिका जाकर UC Berkeley और Stanford जैसे संस्थानों से भी कोर्स किए। वे Punjab Foundation नाम की गैर-लाभकारी संस्था के संस्थापक थे, जो गरीब बच्चों की शिक्षा में सहयोग करती है।
उधर, 31 जुलाई को ही ब्रिटेन की एक रिपोर्ट में भारत को 12 "दमनकारी देशों" की सूची में शामिल किया गया। इसमें कहा गया कि भारत ब्रिटेन में खालिस्तानी विचारधारा रखने वाले लोगों की आवाज दबा रहा है। इसने भारत-ब्रिटेन संबंधों को लेकर नया विवाद खड़ा कर दिया है।
ये भी पढ़ें: तेल डील पर बलूच नेता की ट्रंप को दो टूक : बोले- बलूचिस्तान बिकाऊ नहीं, पाकिस्तान ने आपको गुमराह किया..