Shivani Gupta
8 Nov 2025
इस्लामाबाद। पाकिस्तान और अमेरिका के बीच हाल ही में हुई तेल और खनिज संसाधनों के विकास को लेकर डील ने एक नया भू-राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है। बलूच नेता मीर यार बलूच इस डील के सख्त खिलाफ हैं। उन्होंने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को खुले तौर पर संबोधित करते हुए चेताया है कि बलूचिस्तान की जमीन और संसाधन न तो पाकिस्तान के हैं और न ही कोई उन्हें बेच सकता है।
मीर यार बलूच ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर अपने बयान में साफ कहा कि डोनाल्ड ट्रंप को पाकिस्तान की सेना और खुफिया तंत्र द्वारा "गंभीर रूप से गुमराह" किया गया है। उनका दावा है कि ट्रंप को बताया गया कि ये खनिज संसाधन पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में हैं, जबकि वास्तव में वे बलूचिस्तान में स्थित हैं। यह क्षेत्र पाकिस्तान का हिस्सा नहीं, बल्कि रिपब्लिक ऑफ बलूचिस्तान है जिस पर पाकिस्तान ने 1948 में अवैध कब्जा किया था।
डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में सोशल मीडिया पर लिखा कि अमेरिका और पाकिस्तान ने एक समझौता किया है जिसके तहत वे पाकिस्तान में "विशाल तेल भंडारों" का संयुक्त रूप से विकास करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि भविष्य में पाकिस्तान भारत को तेल बेच सकता है। ट्रंप की यह टिप्पणी ऐसे समय पर आई जब उन्होंने भारत पर 25% टैरिफ लगाने की बात भी कही थी।
मीर यार बलूच ने अमेरिकी प्रशासन को चेताया कि पाकिस्तानी सेना और उसकी खुफिया एजेंसी ISI बलूचिस्तान की खनिज संपदा का इस्तेमाल आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए कर सकती है। इन संसाधनों तक ISI को पहुंच देना एक बड़ी रणनीतिक भूल होगी। इससे ISI की वित्तीय और ऑपरेशनल क्षमता बढ़ेगी और वह वैश्विक आतंकवादी नेटवर्क को और मजबूत कर सकती है।
उन्होंने यह भी कहा कि इन संसाधनों का उपयोग भारत और इजराइल जैसे देशों के खिलाफ जिहादी गतिविधियों को बढ़ाने में किया जाएगा, जिससे दक्षिण एशिया में अस्थिरता फैल सकती है।
बलूच नेता ने यह भी आरोप लगाया कि बलूच जनता को इन प्राकृतिक संसाधनों से कोई लाभ नहीं मिलता। इसके उलट, इनका फायदा पाकिस्तान की सेना और विदेशी निवेशकों को मिलता है, जबकि स्थानीय समुदायों को विस्थापन, हिंसा और शोषण का सामना करना पड़ता है। बलूच जनता अपने ही संसाधनों से वंचित है। इन्हें लूटकर केवल इस्लामाबाद और विदेशी ताकतों को फायदा पहुंचाया जा रहा है।
मीर यार बलूच ने दुनिया भर के देशों, खासकर अमेरिका से अपील की कि वे बलूचों की आजादी की लड़ाई का समर्थन करें। उन्होंने कहा कि बलूचों की मांग सिर्फ न्याय और अधिकार की है, अपने ही क्षेत्र और संसाधनों पर नियंत्रण पाने की वैध और शांतिपूर्ण कोशिश। हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील करते हैं कि वे इस ऐतिहासिक सच्चाई को स्वीकारें और हमारी न्यायोचित मांगों का समर्थन करें।
बलूच नेताओं ने चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) पर भी गंभीर सवाल उठाए। उनका कहना है कि इस परियोजना से बलूचों की जमीन और संसाधनों का बड़े पैमाने पर शोषण हो रहा है। यह आर्थिक साझेदारी बलूचिस्तान की जनता के लिए नहीं, बल्कि पाकिस्तान और चीन के हितों के लिए काम कर रही है। इससे स्थानीय समुदायों का सरकार पर विश्वास कम होता जा रहा है।
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