Aniruddh Singh
9 Nov 2025
नई दिल्ली। भारत सरकार ने मशहूर कारोबारी एलन मस्क की सैटेलाइट इंटरनेट कंपनी स्टारलिंक को सख्त सुरक्षा शर्तों के साथ देश में सेवाएं शुरू करने की अनुमति दे दी है। सख्त सुरक्षा शर्तें इस लिए लगाई गई हैं ताकि भारतीय नागरिकों का डेटा सुरक्षित रखा जा सके। सरकार का कहना है कि स्टारलिंक को ऐसा कोई ढांचा अपनाने की इजाजत नहीं होगी, जिससे भारतीय उपभोक्ताओं का डेटा विदेशों में कॉपी या डिक्रिप्ट किया जा सके। इसका अर्थ यह है कि भारत में प्रयोग होने वाली सैटेलाइट इंटरनेट सेवाओं से जुड़ा सारा डेटा और ट्रैफिक देश के भीतर ही नियंत्रित और संग्रहीत रहेगा। दूरसंचार राज्य मंत्री पी. चंद्रशेखर ने बताया सुरक्षा शर्तों के तहत स्टारलिंक को भारत में ही अर्थ स्टेशन गेटवे स्थापित करने होंगे। इसका मतलब है कि सैटेलाइट से उपयोगकर्ताओं तक पहुंचने वाला सारा संचार इन्हीं गेटवे के माध्यम से होकर जाएगा और यह पूरी तरह भारतीय भूमि पर मौजूद होगा। इससे डेटा को देश से बाहर ले जाने या किसी विदेशी सर्वर पर उसका उपयोग करने की संभावना खत्म हो जाएगी।
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-डॉट ने ट्राई से मांगे थे सैटेलाइट स्पेक्ट्रम आवंटन और कीमत पर सुझाव।
-ट्राई ने अपनी सिफारिशें 9 मई को केंद्र सरकार को सौंप दीं थीं।
-सरकार का मानना है यह बड़ी संभावना वाला नया और उभरता हुआ क्षेत्र।
-जैसे-जैसे इसका विस्तार होगा, वैसे-वैसे रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
-नेटवर्क स्थापना और संचालन के लिए बड़ी संख्या में लोगों की जरूरत पड़ेगी।
-इसमें यूजर टर्मिनल उपकरणों का रखरखाव भी होगा, जो रोजगार पैदा करेगा।
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दूरसंचार विभाग (डीओटी) ने स्टारलिंक को यूनिफाइड लाइसेंस (यूएल) दिया है, जो सभी सैटेलाइट संचार प्रदाताओं के लिए अनिवार्य होता है। इस लाइसेंस में सुरक्षा से जुड़ी शर्तें शामिल होती हैं और स्टारलिंक ने इन्हें मानने के लिए सहमति दी है। इसके अनुसार भारतीय यूजर ट्रैफिक को किसी भी हालत में देश से बाहर मौजूद गेटवे के जरिए नहीं भेजा जाएगा। साथ ही, भारतीय डेटा को विदेशों में कॉपी या डिक्रिप्ट करने की भी अनुमति नहीं होगी। यह कदम भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि सैटेलाइट आधारित इंटरनेट सेवाएं आने वाले समय में ग्रामीण और दुर्गम इलाकों तक कनेक्टिविटी पहुंचाने का बड़ा साधन बनने जा रही हैं। स्टारलिंक जैसी कंपनियां सैटेलाइट के माध्यम से इंटरनेट उपलब्ध कराती हैं, जिससे उन जगहों पर भी डिजिटल सेवाएं पहुंचाई जा सकती हैं, जहां केबल या मोबाइल नेटवर्क लगाना मुश्किल होता है। इसके साथ डेटा सुरक्षा की चुनौती भी बढ़ जाती है। अगर डेटा देश से बाहर जाएगा, तो उसकी निगरानी और नियंत्रण कठिन हो सकता है। इसी कारण भारत सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि डेटा पर पूरा नियंत्रण भारत के भीतर ही रहना चाहिए।