Aniruddh Singh
18 Oct 2025
मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने जापान की बड़ी वित्तीय संस्था सुमितोमो मित्सुई बैंकिंग कॉपोर्रेशन (एसएमबीसी) को निजी क्षेत्र के यस बैंक में 24.99% हिस्सेदारी लेने की अनुमति दे दी है। यह मंजूरी 22 अगस्त 2025 को जारी पत्र के माध्यम से दी गई है। इसकी वैधता एक वर्ष के लिए है। हालांकि, आरबीआई ने साफ कर दिया है कि इस अधिग्रहण के बाद भी एसएमबीसी को यस बैंक का प्रमोटर नहीं माना जाएगा। इसका अर्थ यह है कि बैंक में बड़ी हिस्सेदारी लेने के बावजूद एसएमबीसी का दर्जा केवल एक रणनीतिक निवेशक का होगा। उसकी एश बैंक में संस्थापक या नियंत्रणकारी हिस्सेदारी नहीं होगी। सुमितोमो ने मई 2025 में पहले ही 20% हिस्सेदारी हासिल कर ली थी, जो सेकेंडरी शेयर खरीद के जरिए पूरी हुई थी। उस समय सौदे का मूल्य लगभग 1.6 अरब डॉलर था। इसके बाद एसएमबीसी ने अतिरिक्त 4.9% हिस्सेदारी लेने की योजना बनाई, जिसके लिए उसने आरबीआई से अनुमति मांगी थी। इस अतिरिक्त हिस्सेदारी के बाद एसएमबीसी की कुल हिस्सेदारी बढ़कर 24.99% हो जाएगी। इस सौदे के तहत एसएमबीसी को हिस्सेदारी खरीदने के लिए स्टेट बैंक आॅफ इंडिया (एसबीआई) से लगभग 13.19% हिस्सेदारी लेनी है और 7 अन्य निज
यस बैंक के लिए यह सौदा बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे बैंक की पूंजी स्थिति मजबूत होगी और उसे अंतरराष्ट्रीय बैंकिंग विशेषज्ञता और सहयोग का लाभ मिलेगा। वहीं, सुमितोमो के लिए भारत जैसे तेजी से बढ़ते बाजार में बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र में मजबूत पकड़ बनाने का अवसर मिलेगा। आरबीआई द्वारा प्रमोटर का दर्जा न देने का अर्थ यह है कि एसएमबीसी यश बैंक के संचालन और प्रबंधन में सीधे तौर पर नियंत्रण की स्थिति में नहीं होगा। उसे केवल अपने निवेश से जुड़े अधिकार और मतदान का हिस्सा मिलेगा, लेकिन बैंक की नीतियों और रणनीतिक निर्णयों पर उसका वर्चस्व नहीं होगा। यह सौदा भारत के वित्तीय क्षेत्र में विदेशी निवेश का बड़ा उदाहरण है। इससे न केवल यस बैंक को मजबूती मिलेगी बल्कि भारतीय बैंकिंग प्रणाली में विदेशी निवेशकों का भरोसा भी बढ़ेगा।
-सुमितोमो मित्सुई बैंकिंग कॉपोर्रेशन (एसएमबीसी) पहले ही स्टेट बैंक आॅफ इंडिया (एसबीआई) से 13.19% हिस्सेदारी खरीद चुका है। इसके अलावा उसने 7 निजी बैंकों एक्सिस बैंक, बंधन बैंक, फेडरल बैंक, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक से 6.81% हिस्सेदारी हासिल की है।
-इस जापानी बहुराष्ट्रीय वित्तीय संस्था को अब यस बैंक में अतिरिक्त 4.9% हिस्सेदारी के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मंजूरी मिल गई है।
-आरबीआई ने स्पष्ट किया है कि एसएमबीसी को यस बैंक का प्रमोटर नहीं माना जाएगा, यानी उसे बैंक के रोजमर्रा के संचालन पर नियंत्रण का अधिकार नहीं होगा।
-एसएमबीसी को यस बैंक के बोर्ड में दो निदेशकों को नामित करने का अधिकार मिलेगा। इससे उसे बैंक पर प्रभाव तो रहेगा लेकिन सीधा नियंत्रण नहीं होगा।
(यह पूरा सौदा प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) से मंजूरी मिलने के बाद ही अंतिम रूप लेगा।)
यस बैंक ने वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में मजबूत प्रदर्शन दिखाया है। बैंक का मुनाफा सालाना आधार पर 59.4% बढ़कर 801 करोड़ रुपए हो गया है। यह पिछले साल की तुलना में बैंक के वित्तीय स्वास्थ्य और प्रबंधन में सुधार का स्पष्ट संकेत है। इसी अवधि में बैंक की कुल आय 9,348.11 करोड़ रुपए रही, जो साल-दर-साल आधार पर 4.82% की वृद्धि है। इसका मतलब है कि बैंक न केवल अपने मुनाफे में बल्कि अपनी कुल कमाई में भी स्थिरता और सकारात्मक रुझान बनाए हुए है। मुनाफे में हुई यह तेजी इस बात को दिखाती है कि बैंक ने अपने संचालन, लागत प्रबंधन और आय बढ़ाने की रणनीतियों पर अच्छे तरीके से काम किया है। खासतौर पर, यस बैंक जैसे निजी क्षेत्र के बैंकों के लिए इतनी बड़ी छलांग निवेशकों और ग्राहकों दोनों के लिए भरोसे का संकेत है। यह वृद्धि यह भी बताती है कि पिछले कुछ वर्षों की चुनौतियों और संकटों से उभरने के बाद बैंक अब मजबूती से लाभ कमाने की राह पर लौट आया है। आने वाले महीनों में यह देखना अहम होगा कि बैंक इस गति को बनाए रख पाता है या नहीं, लेकिन पहली तिमाही का प्रदर्शन उम्मीद जगाने वाला है।