Shivani Gupta
20 Oct 2025
भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सोमवार को राजधानी भोपाल के रविन्द्र भवन में आयोजित लोक निर्माण विभाग की कार्यशाला में कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए अब पारंपरिक ढर्रे से हटकर सोचने और कार्य करने की आवश्यकता है। लोक निर्माण से लोक कल्याण की अवधारणा को साकार करने की दिशा में आयोजित इस एक दिवसीय कार्यशाला में पर्यावरण संरक्षण और निर्माण कार्यों के समन्वय पर मंथन किया गया।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अपने संबोधन में कहा कि इस कार्यशाला में जो सुझाव सामने आएंगे, सरकार उन पर गंभीरता से विचार करेगी और आवश्यकतानुसार उन्हें लागू भी किया जाएगा। उन्होंने कहा कि लोक निर्माण विभाग ने निर्माण कार्यों में पर्यावरण संरक्षण को जोड़ने का जो प्रयास किया है, वह सराहनीय है और यह भविष्य के लिए एक आदर्श दिशा तय कर सकता है।
कार्यशाला में मौजूद विशेषज्ञों ने भी इस बात पर बल दिया कि इंजीनियर समाज का पढ़ा-लिखा वर्ग है और उसकी जिम्मेदारी सिर्फ निर्माण तक सीमित नहीं होनी चाहिए। निर्माण करते समय प्रकृति और पर्यावरण को सुरक्षित रखने की दिशा में भी उन्हें सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए। उन्होंने कहा कि पेड़-पौधों की कटाई के कारण जो पर्यावरणीय असंतुलन हो रहा है, उसे संतुलित करने में इंजीनियरों की भूमिका अहम हो सकती है।
प्रदेशभर से आए लोक निर्माण विभाग के इंजीनियरों को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि हर इंजीनियर को अपने कार्यक्षेत्र में पेड़ लगाने, उनकी देखभाल करने और आने वाली पीढ़ी के लिए हरियाली का एक मजबूत सुरक्षा कवच तैयार करना चाहिए। यह न सिर्फ पर्यावरण के लिए जरूरी है, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी भी है।
कार्यशाला का शुभारंभ मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने दीप प्रज्वलन के साथ किया। इस अवसर पर वंदे मातरम् और जन गण मन का सामूहिक गान भी हुआ। इसके पश्चात विभाग द्वारा अधोसंरचना और विकास कार्यों पर आधारित एक लघु फिल्म भी प्रदर्शित की गई, जिसमें लोक निर्माण विभाग की उपलब्धियों और परियोजनाओं को दर्शाया गया।
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