Naresh Bhagoria
16 Nov 2025
छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के मैनपुर ब्लॉक के धनोरा गांव में तीन सगे भाई-बहनों की मौत हो गई। शुरुआती जांच में पता चला कि बच्चों की मौत का मुख्य कारण अंधविश्वास, झोलाछाप डॉक्टर का गलत इलाज और समय पर अस्पताल न ले जाना था।
डमरुधर नागेश, जो मजदूर हैं, अपने परिवार के साथ हाल ही में ससुराल गए थे। वहां तीनों बच्चों को तेज बुखार हो गया। परिवार ने झोलाछाप डॉक्टर से इलाज कराया, लेकिन बच्चों की तबीयत नहीं सुधरी।
बच्चों की हालत बिगड़ने के बाद भी परिजन उन्हें अस्पताल नहीं ले गए। इसके बजाय बैगा-गुनिया के पास झाड़-फूंक कराने ले गए।
11 नवंबर : 8 साल की बेटी अनिता नागेश की हालत बिगड़ी और अस्पताल पहुँचने तक उसकी मौत हो गई।
13 नवंबर : 7 साल के बेटे ऐकराम नागेश रास्ते में ही दम तोड़ गए।
13 नवंबर की शाम : 4 साल के बेटे गोरश्वर नागेश की झाड़-फूंक के दौरान मौत हो गई।
ग्राम धनोरा की मितानिन कुमारी कामता नागेश ने कहा कि तीनों बच्चे एक ही परिवार के थे। पहले बच्ची की मौत हुई और उसी दिन दो अन्य बच्चों की भी जान चली गई।
अमलीपदर शासकीय अस्पताल के डॉक्टर रमाकांत ने बताया कि बच्चों को बुखार, सर्दी-खांसी थी। सीएमओ ने परिजनों को अस्पताल लाने की सलाह दी थी, लेकिन उन्होंने नहीं माना। ग्रामीणों ने अस्पताल की दूरी, एम्बुलेंस की देरी और डॉक्टरों की अनुपलब्धता को भी बड़ी समस्या बताया।
गरियाबंद सीएमएचओ एसके नवरत्न ने कहा कि यह घटना गंभीर है। उन्होंने चार सदस्यीय जांच टीम को धनोरा गांव भेजने के निर्देश दिए हैं।