Mithilesh Yadav
17 Oct 2025
अनुज मैना
भोपाल। टीवी सीरियल ‘महाभारत’ में दुर्योधन के किरदार ने न सिर्फ मेरे कॅरियर को, बल्कि जीवन के दृष्टिकोण को भी गहराई से बदल दिया है। यह किरदार मेरे जीवन का टर्निंग प्वाइंट रहा है। यह बात मशहूर अभिनेता और निर्देशक पुनीत इस्सर ने पीपुल्स समाचार से खास बातचीत में कही। वे अपने नए प्ले ‘जय श्री राम- रामायण’ को लेकर भोपाल आने वाले हैं, जिसकी तैयारियों के लिए वे भोपाल आए थे। इसमें पुनीत रावण, बिंदु दारा सिंह हनुमान, सिद्धांत इस्सर भगवान राम के किरदार में होंगे।
उन्होंने बताया कि यह तीन घंटे का मंचन होगा, जिसमें पूरे रामायण का सार प्रभु श्रीराम के दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया जाएगा। पुनीत ने बताया कि दुर्योधन को लोग केवल नकारात्मक रूप में देखते हैं, लेकिन मैंने उसमें बहुत-सी सकारात्मक बातें भी पार्इं। उसमें बाल सुलभ हठ तो था, लेकिन अपने मित्र के प्रति निष्ठा और समर्पण भी था। वह जो चाहता था, उसे पाने के लिए पूरी ताकत लगा देता था। बस उसका अहंकार, क्रोध और ईर्ष्या उसके पतन का कारण बने।
पुनीत इस्सर का कहना है कि ‘महाभारत’ की शूटिंग उनके जीवन का यादगार दौर था। तीन वर्षों तक रोजाना शूटिंग हुई। वह अनुभव अद्भुत था, जिसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता। गीता के संदेश पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि श्रीमद्भगवद्गीता केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन का मार्गदर्शन है। यह रोजमर्रा के हर संघर्ष का समाधान देती है। मैंने गीता से सीखा कि अपने कर्म पर ध्यान देना चाहिए, फल पर नहीं। यही वजह है कि आज तक पूरी ईमानदारी से कर्म किए जा रहा हूं।
‘महाभारत’ के अपने सह-कलाकार और मित्र पंकज धीर (कर्ण) के निधन पर बात करते हुए पुनीत ने कहा, हमारी मित्रता ‘महाभारत’ से पहले की है। हम एक-दूसरे को पहले से जानते थे। हमारे पिताजी भी एक-दूसरे के मित्र थे, इसलिए हमारे बीच अपनापन पहले से था। जब ‘महाभारत’ शुरू हुई तो वो दोस्ती एक गहरे भाईचारे में बदल गई। हमारे परिवार आज भी उसी तरह जुड़े हुए हैं, उनके बच्चे मेरी गोद में खेले हैं और मेरे बच्चे उनकी गोद में।
पुनीत ने कहा कि अगर पॉजिटिव किरदार को बड़ा दिखाना है, तो उसके सामने एक सशक्त विलेन किरदार होना जरूरी है। जब बुराई अपनी चरम सीमा पर पहुंचती है, तभी तो अच्छाई की जीत का अर्थ और मजा आता है। रावण के पास सब कुछ था, पर उसमें अंहकार, क्रोध, ईर्ष्या और काम की आग भरी हुई थी। यही उसके पतन का कारण बना। दुर्योधन के किरदार में भी मैंने यही देखा, वह पूरी तरह नेगेटिव नहीं था।