Manisha Dhanwani
8 Dec 2025
खंडवा। इंदिरा सागर परियोजना मध्यप्रदेश के खंडवा जिले में नर्मदा नदी पर निर्मित एक बहुउद्देशीय परियोजना है। इंदिरा सागर डैम, जो एशिया के सबसे बड़े बांधों में से एक है, ने बिजली उत्पादन के क्षेत्र में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। इस डैम की विद्युत उत्पादन क्षमता 1000 मेगावाट है, लेकिन इस वर्ष इसने अपनी क्षमता से अधिक 1100 मेगावाट तक बिजली का उत्पादन कर एक रिकॉर्ड कायम किया है। विशेष रूप से अगस्त महीने में डैम से लगभग 5.25 करोड़ यूनिट अतिरिक्त बिजली उत्पन्न की गई, जिसकी वाणिज्यिक कीमत लगभग 18 करोड़ रुपये आंकी गई है। यह उपलब्धि देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में स्थित इंदिरा सागर डैम ने बिजली उत्पादन में नया रिकॉर्ड बनाया है। अगस्त 2025 में इस डैम ने 807 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन किया, जो अब तक का सबसे ज्यादा है। खास बात यह रही कि सिर्फ अगस्त में ही डैम ने करीब सवा पांच करोड़ यूनिट (51 मिलियन यूनिट) अतिरिक्त बिजली बनाई, जिससे लगभग 18 करोड़ रुपए की कमाई हुई।
इस उपलब्धि का कारण कोई नई तकनीक नहीं, बल्कि बांध में पानी की अभूतपूर्व आवक है। जुलाई 2025 में पानी की इतनी अधिक मात्रा आई कि बांध के गेट खोलने पड़े। आमतौर पर गेटों से छोड़ा गया पानी बिना उपयोग के निकल जाता है। कई सालों बाद जुलाई में ही इतना पानी आया कि बांध के गेट खोलने पड़े।

इंदिरा सागर डैम में कुल 8 टरबाइनों से 1000 मेगावाट की क्षमता है, लेकिन इस बार उन्हीं मशीनों से 1100 मेगावाट तक बिजली बनाई गई। आठों टरबाइनों को बिना रुके पूरी क्षमता पर चलाया गया। हर टरबाइन 125 मेगावाट की है और फ्रांसिस टरबाइन टेक्नोलॉजी पर आधारित है।
अगस्त में प्रतिदिन का औसत उत्पादन 26.65 मिलियन यूनिट रहा, जो इंदिरा सागर परियोजना के इतिहास में सबसे अधिक है। इससे पहले जुलाई में भी 605 मिलियन यूनिट का उत्पादन हुआ था।
सरकार इस जलविद्युत बिजली को 3 से 3.5 रुपए प्रति यूनिट की दर से खरीदती है। इस हिसाब से केवल अगस्त महीने में अतिरिक्त उत्पादन से ही लगभग 18 करोड़ रुपए की आमदनी हुई।
हाइड्रो प्लांट की विशेषता है कि इसमें बिजली उत्पादन के बाद पानी वापस नदी में चला जाता है, जिससे कोई प्रदूषण नहीं होता। जरूरत पड़ने पर इसे मात्र 10 मिनट में चालू या बंद किया जा सकता है। यह प्रणाली इमरजेंसी के समय में भी बेहद कारगर साबित होती है।
जलाशय में जमा पानी को पेनस्टॉक पाइप से नीचे भेजा जाता है। वहां यह पानी टरबाइन को घुमाता है, जिससे जनरेटर चलता है और बिजली बनती है। बिजली ग्रिड के ज़रिए घरों और उद्योगों तक पहुंचाई जाती है। पानी की मात्रा और ऊंचाई जितनी ज्यादा होगी, उत्पादन उतना ही अधिक होता है।
1. सबसे बड़ा जलाशय – पुनासा में स्थित इस डैम का जलाशय 12.22 बीएमसी की क्षमता रखता है, जिससे पूरे मध्य प्रदेश की प्यास बुझ सकती है।
2. बिजली का बड़ा स्रोत – यहां 8 यूनिट से कुल 1000 मेगावाट बिजली बनती है, जो पूरे प्रदेश को रोशन करती है।
3. किसानों की मदद – डैम की नहरें 2.70 लाख हेक्टेयर जमीन को सींचती हैं, जिससे फसल उत्पादन और किसानों की आमदनी बढ़ती है।
4. इतिहास और निर्माण – 23 अक्टूबर 1984 को इंदिरा गांधी ने इसका भूमिपूजन किया था। 1992 में निर्माण शुरू हुआ और 2005 में यह प्रोजेक्ट 4355 करोड़ रुपए की लागत से पूरा हुआ।
5. राज्य को सीधा लाभ – डैम से बनी बिजली सिर्फ मध्य प्रदेश को दी जाती है, जिससे राज्य को सस्ती दरों पर बिजली मिलती है।
परियोजना प्रमुख अजीत कुमार सिंह ने इसे अब तक की सबसे बड़ी उपलब्धि बताया। वहीं पावर हाउस के शिफ्ट इंचार्ज जी. नारायण कृष्णा ने कहा कि मशीनें 1000 मेगावाट की हैं, लेकिन तकनीकी दक्षता से 1100 मेगावाट तक उत्पादन संभव हो पाया।