People's Reporter
5 Nov 2025
छिंदवाड़ा। जहरीली कफ सिरप मामले में लगातार कार्रवाई जारी है। इसी सिलसिले में श्रीसन फार्मा कंपनी की केमिकल एनालिस्ट के. माहेश्वरी को गिरफ्तार किया गया है। बुधवार शाम विशेष जांच दल (SIT) उन्हें छिंदवाड़ा के जिले परासिया लेकर पहुंची थी, जहां गुरुवार को उन्हें कोर्ट में पेश किया गया। न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी शैलेन्द्र उईके ने के. माहेश्वरी को तीन दिन की पुलिस रिमांड पर भेजने का आदेश दिया। पूछताछ के दौरान यह सामने आया कि सिरप में इस्तेमाल होने वाले प्रोपिलीन ग्लायकॉल का बिल कंपनी से गायब है, जिसके बाद पुलिस ने पूछताछ और सख्त कर दी है।
जानकारी के मुताबिक, एसआईटी ये पता लगाने की कोशिश करेगी कि कंपनी में दवा की गुणवत्ता जांच में क्या गड़बड़ी हुई, गलती किसकी थी और दवाओं से जुड़े कानून (औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940) का उल्लंघन कहां हुआ। वहीं, सूत्रों का कहना है कि माहेश्वरी से कोल्ड्रिफ कफ सिरप की टेस्ट रिपोर्ट मांगी गई थी, लेकिन उन्होंने रिपोर्ट नहीं दी। इससे शक है कि शायद सिरप की जांच ही नहीं की गई थी।
वहीं, पूछताछ में यह भी पता चला है कि कफ सिरप बनाने में इस्तेमाल होने वाले प्रोपिलीन ग्लाइकॉल के बिल कंपनी के पास नहीं हैं। एसआईटी की जांच का मुख्य मुद्दा यही है कि आपूर्तिकर्ता को औषधीय उपयोग के लिए प्रोपिलीन ग्लाइकॉल का ऑर्डर दिया गया था या औद्योगिक उपयोग का। बता दें कि यदि आपूर्तिकर्ता ने औषधीय की बजाय औद्योगिक ग्रेड की आपूर्ति की होगी, तो उसे भी आरोपित किया जा सकता है।
बता दें, कि इस कफ सीरप में डायथिलीन ग्लायकॉल (डीईजी) की मात्रा 48.6% पाई गई, जबकि तय सीमा सिर्फ 0.1% है। जिस वजह से ही बच्चों की मौतें हुईं थी। अब तक इस मामले में कफ सिरप लिखने वाले डॉक्टर प्रवीण सोनी, कंपनी के मालिक जी. रंगनाथन और के. माहेश्वरी समेत पांच लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
दरअसल, मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा में बनी जहरीली कफ सिरप पीने से 22 बच्चों की मौत हो गई थी। ये सिरप श्रीसन फार्मा नाम की दवा कंपनी द्वारा तैयार की गई थी। घटना के बाद लोगों ने सरकार और प्रशासन से निष्पक्ष जांच और दोषियों को कड़ी सज़ा देने की मांग की थी।