Hemant Nagle
20 Oct 2025
चंद्रकुमार चौबे
जबलपुर। तीज-त्योहारों पर आंगन और पूजा स्थलों को सजाने के लिए रंगोली का विशेष महत्व है। इस सजावट में जबलपुर निर्मित रंगोली के रंगों की देश-विदेश में भारी डिमांड है। यह रंग मप्र, उप्र, महाराष्ट्र, ओडिशा, छत्तीसगढ़ के साथ अमेरिका, कनाडा और मारीशस भेजे जाते हैं।
जबलपुर में भेड़ाघाट मार्बल, तारा माइनिंग, चारभुजा माइक्रो मिनरल रंगोली के रंगों का निर्माण करते हैं। यहां सातों रंगों का निर्माण होता है। यहां निर्मित रंग महाराष्ट्र, ओडिशा के रास्ते समुद्री जहाज से अमेरिका, कनाडा, मारीशस, श्रीलंका, निकारागुआ आदि देशों में भेजे जाते हैं।
भेड़ाघाट मार्बल के संचालक अंकित अग्रवाल ने बताया कि रंगों की डिमांड गणेश पर्व से शुरू होती है। माल में उठाव दीपावली से नववर्ष तक रहता है। अभी रोजाना एक ट्रक माल अन्य राज्यों को भेजा जा रहा है।
पितृपक्ष में रंगों की मांग बढ़ जाती है। वजह- पितृपक्ष, गणेश पर्व के ठीक बाद शुरू होता है, वहीं घरों में पितरों के लिए बनाए जाने वाले चौकों में अब महिलाएं आटे के स्थान पर रंगोली के रंगों का इस्तेमाल करती हैं। वहीं जैन समाज के मुनियों का भ्रमण भी शुरू हो जाता है, तो महिलाएं घरों के सामने रंगोली सजाकर मुनिजनों का आदर-सत्कार करती हैं।
हम यहां लगातार सालभर काम करते हैं। इससे हमारा और हमारे परिवार का भरण- पोषण होता है। हमें हमारे शहर में ही घरों के पास रोजगार मिल रहा है। हमें काम की तलाश में यहां- वहां भटकना नहीं पड़ता है। इससे हमें 10- 15 हजार रुपए प्रति महीने की कमाई हो जाती है।
अंकिता साहू, रंगोली बनाने वाली महिला