Mithilesh Yadav
17 Oct 2025
हरदा। भारत में 33 कोटि देवी-देवताओं को पूजा जाता है और हर त्योहार एक अलग देवी-देवता को समर्पित होता है। धनतेरस और दीवाली के त्योहार पर मां लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा की जाती है, क्योंकि दोनों को ही धन का देवता माना जाता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि मध्य प्रदेश की धरती पर विराजमान भगवान कुबेर अनोखे रूप में भक्तों के दर्शन देते हैं और हर मनोकामना को पूरा करते हैं? मध्यप्रदेश के हरदा जिले के हंडिया में स्थित रिद्धनाथ मंदिर में भगवान कुबेर का चमत्कारी मंदिर है।
मध्य प्रदेश के हरदा जिले के हंडिया में स्थित रिद्धनाथ मंदिर दिवाली के मौके पर श्रद्धालुओं की आस्था का विशेष केंद्र बन जाता है। मां लक्ष्मी और कुबेर को आमतौर पर धन-संपदा का प्रतीक माना जाता है, लेकिन यहां भगवान शिव को खुद धन के देवता के रूप में पूजा जाता है। यह मंदिर अपनी अनोखी मान्यताओं, वास्तुकला और ऐतिहासिकता के लिए खास पहचान रखता है।
रिद्धनाथ मंदिर देश का इकलौता ऐसा स्थान है जहां भगवान शिव को विशेष रूप से धन के देवता के रूप में पूजा जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, रावण के भाई कुबेर ने अपनी खोई हुई धन-संपदा को वापस पाने के लिए यहीं तप किया था। भगवान शिव ने उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें दोबारा धन प्रदान किया। तभी से यह स्थान रिद्धि-सिद्धि की प्राप्ति के लिए प्रसिद्ध हो गया।
कहा जाता है कि मंदिर में स्थापित शिवलिंग की स्थापना स्वयं धन के देवता कुबेर ने करीब 5500 साल पहले की थी। यह मंदिर रामायणकालीन माना जाता है और मां नर्मदा के नाभिस्थल पर स्थित है, जो इसे एक विशेष आध्यात्मिक महत्व देता है। नर्मदा का मध्य केंद्र होने से इसका आध्यात्मिक महत्व है। यहां देशभर के श्रद्धालु दर्शनों के लिए पहुंचते हैं। नाभि कुंड तक जाने के लिए श्रद्धालु पहले नेमावर या हंडिया तट पर आते हैं, फिर नाव के जरिए नर्मदा के नाभि कुंड तक जाते हैं। इस कुंड की विशेषता है कि इसमें पानी कभी खत्म नहीं होता।
रिद्धनाथ मंदिर में हर साल दीपावली के अवसर पर विशेष पूजा और अनुष्ठान किए जाते हैं। बड़ी संख्या में श्रद्धालु दूर-दूर से यहां भगवान रिद्धनाथ के दर्शन करने और धन-संपत्ति की कामना के लिए आते हैं। मान्यता है कि यहां पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि और धन की वृद्धि होती है।
मंदिर की बनावट इसे और खास बनाती है। आमतौर पर मंदिर गोल या आयताकार होते हैं, लेकिन रिद्धनाथ मंदिर कछुए के आकार में बना है। कछुआ भारतीय परंपरा में स्थिरता और धन का प्रतीक माना जाता है। यह वास्तुशिल्प दृष्टि से भी अत्यंत दुर्लभ और आकर्षक है।
यहां एक और खास बात यह है कि रिद्धनाथ मंदिर में भगवान शिव के साथ मां पार्वती की मूर्ति स्थापित नहीं है। मान्यता है कि इस स्थान पर मां लक्ष्मी को पार्वती का अंश माना गया है, जो भगवान विष्णु के साथ विराजती हैं। शिवलिंग के ठीक सामने नंदी की प्रतिमा पर नौ देवियों की मूर्तियाँ स्थापित हैं। कहा जाता है कि इन देवियों की अनुमति के बिना भगवान शिव के दर्शन संभव नहीं होते।
मंदिर के शिखर पर बारह छोटे गुंबद हैं, जिन्हें बारह ज्योतिर्लिंगों का प्रतीक माना जाता है। यहां दर्शन करने से ऐसा पुण्य फल प्राप्त होता है, जैसे बारहों ज्योतिर्लिंगों के दर्शन किए हों।
रिद्धनाथ मंदिर का उल्लेख नर्मदा पुराण में भी मिलता है। यह स्थान न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रूप से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यहां नियमित रूप से अभिषेक और पूजन करने से भक्तों को रिद्धि-सिद्धि और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
राज्य सरकार द्वारा संरक्षित यह मंदिर आज भी अपनी धार्मिक महत्ता और सांस्कृतिक विरासत को जीवंत रूप में संजोए हुए है। हर साल हजारों श्रद्धालु यहां आकर अपने जीवन में सुख-समृद्धि की कामना करते हैं।
हरदा का रिद्धनाथ मंदिर सिर्फ एक तीर्थ नहीं, बल्कि आस्था, इतिहास और आर्ट का संगम है। यह मंदिर उन श्रद्धालुओं के लिए विशेष स्थान रखता है जो भगवान शिव की कृपा से अपने जीवन में धन, वैभव और समृद्धि की कामना करते हैं। दीपावली जैसे पर्व पर यहां की विशेष पूजा इसे और भी विशेष बना देती है।