Aniruddh Singh
17 Oct 2025
Aniruddh Singh
16 Oct 2025
मुंबई। जापान की सुमितोमो मित्सुई बैंकिंग कॉरपोरेशन (एसएमबीसी) ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह भारत के यस बैंक में अपनी हिस्सेदारी 24.99% से अधिक नहीं बढ़ाएगा। फिलहाल एसएमबीसी के पास यस बैंक की 24.2% हिस्सेदारी है और बैंक ने स्पष्ट किया है कि वह अब इसी स्तर पर अपनी हिस्सेदारी को सीमित रखना चाहता है। इस निर्णय के साथ एसएमबीसी ने यह भी संकेत दिया है कि वह प्रमुख शेयरधारक के रूप में गवर्नेंस और रणनीतिक मार्गदर्शन पर ध्यान देगा, न कि बैंक के संचालन में कोई कार्यकारी भूमिका निभाएगा। एसएमबीसी के भारत डिवीजन के प्रमुख और समूह कार्यकारी अधिकारी राजीव कन्नन ने कहा कंपनी का फोकस यस बैंक के बोर्ड में अपनी भूमिका को मजबूत करने पर है।
उन्होंने यह भी कहा अभी यस बैंक को कई अहम मुद्दों पर काम करना बाकी है और एसएमबीसी यह सुनिश्चित करना चाहता है कि वे सभी योजनाएं सही दिशा में लागू हों। उनके अनुसार, हम अपनी हिस्सेदारी 24.99% से अधिक बढ़ाने का कोई सक्रिय प्रयास नहीं कर रहे हैं। हमारा उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि बैंक अपनी रणनीतिक योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करे। यह निर्णय इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत के अधिग्रहण नियमों के तहत यदि कोई निवेशक किसी सूचीबद्ध कंपनी में 25% या उससे अधिक की हिस्सेदारी लेता है, तो उसे अनिवार्य ओपन ऑफर देना होता है, जिसमें कम से कम अतिरिक्त 26% हिस्सेदारी सार्वजनिक शेयरधारकों से खरीदनी होती है।
इसका अर्थ है कि कुल मिलाकर निवेशक की हिस्सेदारी 51% तक जा सकती है, जिससे कंपनी पर उसका नियंत्रण स्थापित हो जाता है। संभवतः एसएमबीसी ने इस नियामक जटिलता से बचने के लिए अपनी हिस्सेदारी 24.99% तक सीमित रखने का फैसला किया है। कई बाजार विश्लेषकों को पहले उम्मीद थी कि एसएमबीसी भविष्य में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाकर यस बैंक में नियंत्रण प्राप्त करने की दिशा में कदम उठा सकता है। लेकिन अब यह साफ़ है कि जापानी बैंक फिलहाल उस दिशा में नहीं बढ़ना चाहता। ध्यान देने योग्य बात यह है कि अगस्त 2025 में एसएमबीसी को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से यस बैंक में 24.99% हिस्सेदारी तक खरीदने की अनुमति मिल चुकी थी।
यह सौदा मई में घोषित हुआ था, जब एसएमबीसी ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) और अन्य सात शेयरधारकों से 20% हिस्सेदारी के लिए 1.6 अरब डॉलर का समझौता किया था। यह भारत के वित्तीय क्षेत्र में अब तक का सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय विलय और अधिग्रहण (क्रास बॉर्डर एमएंडए) माना गया था। एसएमबीसी की यह रणनीति यह दर्शाती है कि वह भारत के बैंकिंग क्षेत्र में अपनी उपस्थिति को धीरे-धीरे मजबूत करना चाहता है, लेकिन बिना प्रत्यक्ष नियंत्रण के। यानी वह यस बैंक में एक स्थायी, दीर्घकालिक निवेशक की भूमिका निभाना चाहता है, जो बैंक को तकनीकी, संचालनात्मक और रणनीतिक दिशा दे सके। यस बैंक के लिए यह एक स्थिरता का संकेत है क्योंकि एक मजबूत विदेशी निवेशक उसके बोर्ड में शामिल है, जो बैंक की दीर्घकालिक सुधार योजनाओं पर नजर रखेगा।