टीकमगढ़ में अवैध आर्म्स फैक्ट्री का पर्दाफाश, कृषि उपकरणों की आड़ में चल रहा था हथियार बनाने का धंधा, तीन पीढ़ियों से कर रहे थे काम
भोपाल क्राइम ब्रांच ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए टीकमगढ़ जिले में संचालित अवैध आर्म्स फैक्ट्री और अंतर्राज्यीय हथियार तस्करी नेटवर्क का पर्दाफाश किया है। जांच में सामने आया कि एक ही परिवार तीन पीढ़ियों से अवैध हथियार बनाने के गोरखधंधे में संलिप्त था। आरोपियों के पास से हथियार बनाने की मशीनें, कलपुर्जे और अवैध पिस्तौल बरामद की गई हैं।
बताया जा रहा है कि कुटीर उद्योग और कृषि उपकरण की आड़ में पिस्तौल बनाने का कारखाना चल रहा था। आरोपी सीमावर्ती इलाके का फायदा उठाकर गन बेचते थे।
अंतर्राज्यीय स्तर पर फैला नेटवर्क
जांच में खुलासा हुआ कि यह नेटवर्क केवल स्थानीय स्तर तक सीमित नहीं था बल्कि इसका मुख्य ग्राहक उत्तर प्रदेश में था। स्थानीय स्तर पर जोखिम अधिक और लाभ सीमित होने के कारण हथियारों की सप्लाई ज्यादातर यूपी में की जाती थी।
झांसी से जुड़े हैं तार : पुलिस कमिश्नर
भोपाल पुलिस कमिश्नर हरिनारायण चारी मिश्र ने टीकमगढ़ जिले में संचालित अवैध आर्म्स फैक्ट्री का खुलासा किया। उन्होंने बताया कि मौके से हथियार और मोटरसाइकिल जब्त की गई है। कृषि उपकरणों की आड़ में हथियार बनाने की फैक्ट्री चलाई जा रही थी। अब तक सैकड़ों पिस्टल बनाए जा चुके हैं। यह एक अंतर्राज्यीय नेटवर्क था, जो सीमावर्ती इलाकों का फायदा उठाता था। इस पूरे मामले के तार झांसी से जुड़े हुए सामने आए हैं। पांच हथियार बरामद हुए हैं। लेथ मशीन भी जब्त की गई है।
आरोपियों के परिवार के सदस्य हथियार बनाते थे। यह काम तीन पीढ़ियों से लगातार किया जा रहा था। हथियार 30 से 35 हजार रुपए में बेचे जाते थे। हथियार तस्कर मुख्तार खान से पूछताछ में पुलिस को फैक्ट्री के बारे में जानकारी मिली। फिलहाल पुलिस ने पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर जांच शुरू कर दी है। इनके किन-किन से संबंध हैं, इसकी पूछताछ की जाएगी। वहीं मछली परिवार से संबंधित पकड़े गए गुर्गों के पास से मिले हथियार से जोड़कर भी पुलिस जांच और पूछताछ करेगी।
दो जगह चल रही थी फैक्ट्री
क्राइम ब्रांच की जांच में टीकमगढ़ जिले के दो स्थानों पर अवैध हथियार बनाने की फैक्ट्री का संचालन सामने आया।
- ग्राम चंदेरी थाना कुड़ीला में सुरेंद्र विश्वकर्मा के घर पर फैक्ट्री चल रही थी।
- ग्राम रामगढ़ थाना जतारा में एक वेयरहाउस में बड़े पैमाने पर हथियार बनाए जा रहे थे।
तीन पीढ़ियों से जारी था गोरखधंधा
आरोपियों के परिवार का आपराधिक इतिहास भी लंबा है।
- आनंदी विश्वकर्मा लगभग 40 सालों से कृषि उपकरणों की आड़ में हथियार बनाता रहा।
- उसने अपने बेटों और नाती-पोतों तक को इस धंधे में शामिल कर लिया।
- जेल की सजा काटने के बाद भी उसका बेटा सुरेंद्र विश्वकर्मा दोबारा इसी काम में जुट गया।
लेथ मशीन से बनते थे हथियार
फैक्ट्री में लेथ मशीन और अन्य भारी उपकरणों की मदद से हथियारों के कलपुर्जे बनाए जाते थे। पहले बाहर से पुर्जे मंगाए जाते थे, लेकिन अब पूरा निर्माण खुद ही किया जाने लगा था ताकि लागत घटे और मुनाफा बढ़े।
पार्टनरशिप मॉडल में चल रहा कारोबार
सुरेंद्र ने हथियार बनाने के लिए वेयरहाउस मालिक को अपना पार्टनर बनाया और उसे हर महीने 20,000 रुपये किराया दिया जाता था। गोपनीयता बनाए रखने के लिए निर्माण में केवल परिवार के लोग ही शामिल थे जबकि बिक्री का काम भरोसेमंद सहयोगी करते थे।
बरामद हथियार और उपकरण
छापेमारी में क्राइम ब्रांच ने हथियार बनाने में उपयोग होने वाले कई उपकरण और हथियार बरामद किए।
- दो लेथ मशीनें, वेल्डिंग और ड्रिल मशीन
- अधबनी पिस्तौलें, कारतूस, मैगजीन और बैरल
- हथियार बनाने में उपयोग होने वाला कच्चा माल
आरोपियों पर कई गंभीर अपराध दर्ज
कार्रवाई में कई आरोपी गिरफ्तार किए गए हैं, जिनमें मुख्य आरोपी सुरेंद्र विश्वकर्मा और उसके परिवारजन शामिल हैं। इनके खिलाफ पहले से ही लूट, चोरी, आर्म्स एक्ट और अन्य गंभीर धाराओं में प्रकरण दर्ज हैं। साथ ही मुख्तार खान, मुमताज अली, सैफ अली उर्फ रिंकू सहित अन्य आरोपी भी गिरफ्तार किए गए। जबकि नरेंद्र प्रताप सिंह परमार फरार बताया जा रहा है।