Naresh Bhagoria
29 Dec 2025
अशोक गौतम, भोपाल। भोपाल, इंदौर सहित प्रदेश के आठ शहरों के यात्रियों को ई-बस में सफर करने के लिए करीब 6 माह का और इंतजार करना होगा। दरअसल बस सप्लाई करने वाली कंपनी ने अभी तक किसी राज्य को एक भी बस नहीं दी है। मालूम हो कि डॉ. मोहन कैबिनेट ने फरवरी 2024 को ई बस चलाने को मंजूरी थी। यह जनवरी 2025 से शुरू हो जानी थी। हालांकि अभी भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, सागर सहित आठों शहरों में ई-बस डिपो बनाने का काम शुरू हो गया है, इसमें 6 माह का समय लगेगा। मप्र के 6 शहरों में प्रारंभिक तौर पर 582 ई-बस चलाने की तैयारी है। इनमें से 472 बसें 32 सीटर होंगी। बाकी 110 बसें 21 सीटर होंगी। इसके बाद दूसरे चरण में 390 बसें चलाई जाएंगी।
ई-बस संचालन कंपनी ग्रीनसेल मोबिलिटी प्राइवेट लिमिटेड को 180 किलोमीटर रोजाना हर बस को चलाना होगा। एक बस पर करीब 10,440 रुपए निकायों के जरिए आॅपरेटरों को भुगतान करना होगा। इस हिसाब से 972 बसों के लिए प्रति दिन एक करोड़ रुपए ऑपरेटरों को देना होगा। टिकट की राशि नगर निगम वसूल करेगी। वर्तमान में एक शहरी बस से प्रति दिन पांच हजार रुपए से लेकर 7 हजार रुपए तक कमाई होती है।
भोपाल में पब्लिक ट्रांसपोर्ट सेवा को पटरी पर लाने के लिए प्रशासन ने तैयारी तेज कर दी है। लो-फ्लोर बसों के संचालन में आए व्यवधान को कम करने के लिए सीएनजी बसों के साथ जल्द ही ई-बसें सड़कों पर दौड़ेंगी। ई-बसों के लिए दो प्रमुख डिपो बनाए जा रहे हैं। पहला बैरागढ़ में और दूसरा कस्तूरबा नगर में। ई-बस संचालन नगर निगम की होल्डिंग कंपनी बीसीएलएल के माध्यम से किया जाएगा। बैरागढ़ और कस्तूरबा डिपो में बस पार्किंग, पिट और चार्जिंग स्टेशन बनने की अभी शुरुआत हुई है। ई-बसें पहुंचने से पहले खड़ी करने की जगह सुनिश्चित करनी होगी।
बता दें कि फिलहाल शहर में अलग-अलग रूटों पर 60 बसें चल रही हैं। नई सीएनजी बसों के संचालन से इनकी संख्या बढकर 75 हो गई है। पहले 368 बसें शहर में चलती थीं और इनसे रोजाना सवा लाख लोग यात्रा करते थे।
अभी समय लगेगा
ऑपरेटर को बस लाने में अभी समय लग रहा है। बस सप्लाई करने वाली कंपनी ने किसी राज्य में बस सप्लाई नहीं की है। नगरीय निकाय भी डिपो भी तैयार नहीं कर पाए हैं, इसमें समय लगेगा।
दिव्यांक सिंह, अपर आयुक्त, नगरीय विकास एवं आवास विभाग