Naresh Bhagoria
29 Dec 2025
राजीव सोनी, भोपाल। मध्यप्रदेश में पिछले 22 साल से सिविल सेवा नाट्य मंडल की गतिविधियां ठप पड़ी हैं। इस कारण संगीत, नाट्य विधा व रंग मंडल में रुचि रखने वाले सरकारी अधिकारी और कर्मचारियों को प्रतिभा प्रदर्शन के मौके नहीं मिल पा रहे। वर्ष 2003 के पटना फेस्टीवल में मप्र सिविल सेवा नाटक की टीम पुरस्कार विजेता रही थी। इसके बाद प्रदेश के सामान्य प्रशासन विभाग ने अपने अफसर-कर्मचारियों के सांस्कृतिक आयोजन ही भुला दिए। हाल ही में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बंद पड़ी सांस्कृतिक गतिविधियों को लेकर विभागीय स्तर पर पूछताछ की है।
प्रदेश में अभी संस्कृति विभाग इस तरह के आयोजन कर रहा है। लेकिन अधिकारी-कर्मचारी प्रतिभा प्रदर्शन से वंचित हैं। सिविल सेवा खेल मंडल के तहत सांस्कृतिक गतिविधियों में प्रदेश के वरिष्ठ अधिकारी और कर्मचारियों की भागीदारी रहती थी। वर्ष 2001 में भोपाल के रवींद्र भवन में मध्यप्रदेश ने आयोजक की भूमिका निभाई थी। बाद में यह सिलसिला बंद हो गया। उस वक्त सिविल सेवा नाटक टीम ने डॉ. रमेश का लिखा नाटक 'पंचायत' की प्रस्तुति दी थी। सरकार के स्तर पर इस नाटक की काफी चर्चा भी हुई थी। वर्ष 2006 और 2007 तक नाटक टीम का गठन हुआ। प्रशासन अकादमी में प्रख्यात रंगमंच निर्देशकों ने टीम का चयन भी किया लेकिन अखिल भारतीय सिविल सेवा नाटक स्पधार्ओं के लिए मप्र की टीम नहीं भेजी जा सकी।
दशकों तक श्रेष्ठ रंगकर्मियों के राज्य कहलाने वाला अब इस क्षेत्र में अपनी पहचान खो चुका है। मध्य प्रदेश सिविल सेवा खेल मंडल के अस्तित्व पर ही प्रश्नचिन्ह लग गया है। सामान्य प्रशासन विभाग ने रंगमंडल के आयोजनों में दिलचस्पी लेना बंद कर दी। सिविल सेवा खेल मंडल की हॉकी और टेनिस जैसी गतिविधियां तो होती रहीं लेकिन जिन अफसरों में संगीत-रंगमंच और नाटक की प्रतिभा थी उसका दमन होने लगा।
दो दशक पहले तक प्रदेश के कई वरिष्ठ अधिकारी और कर्मचारी थियेटर के लिए सिविल सेवा नाट्य मंडल में सक्रिय रहते थे। पूर्व आईएएस कवींद्र कियावत, जयश्री कियावत और रेणु तिवारी सहित पीएल नाथानी, गिरीश थतेभ, ज्योति केने, अर्पणा आचार्य, राजेश श्रीवास्तव, उमेश ओतुरकर, प्रदीप जोशी, लवीना स्टेनली, रश्मि जोशी और सुमित द्विवेदी सहित अन्य कई अधिकारी नाटक टीम के सदस्य रह चुके हैं।
नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (NSD) का हाल ही में भारत भवन रंग मंडल के साथ अनुबंध हुआ है। इसमें निजी क्षेत्र के कलाकार तो प्रोत्साहित होंगे लेकिन शासकीय अधिकारी और कर्मचारियों के लिए यहां भी कोई 'स्पेस' नहीं है।
हाल ही में थियेटर को लेकर हुई चर्चा के दौरान सीएम डॉ. यादव को कुछ अफसरों ने यह मामला बताया तो उन्होंने तुरंत विभागीय स्तर पर पूछ-परख की। सीएम डॉ. यादव स्वयं रंगमंच में सक्रिय रहे हैं। प्रसिद्ध महानाट्य विक्रमादित्य में वह भूमिका भी निभाते रहे हैं।
अफसर-कर्मचारियों की थियेटर गतिविधियां और नाट्य स्पर्धाएं तो होती रहीं हैं। ये आयोजन कामकाज से उत्पन्न नीरसता को दूर करते हैं। आयोजन बंद क्यों हुए इसकी जानकारी निकलवाते हैं।
संजय शुक्ला, अपर मुख्य सचिव सामान्य प्रशासन विभाग मप्र
सिविल सेवा नाट्य मंडल की गतिविधियां क्यों बंद हो गईं समझ से परे है। अधिकारी-कर्मचारियों की प्रतिभा प्रदर्शन के लिए यह बेहतर मंच था। सेवा के दौरान मैंने भी इसमें सक्रिय भागीदारी निभाई।
कवींद्र कियावत, सेवानिवृत्त आईएएस
अधिकारी-कर्मचारियों के रंगमंच की गतिविधियां 22 साल ठप हैं। मैं स्वयं कई नाटकों के निर्णायक मंडल में जज की हैसियत से मौजूद रहा। इस आयोजन को फिर शुरू करना चाहिए।
सुमित द्विवेदी, अध्यक्ष एवं ड्रामा डायरेक्टर, मप्र शासकीय कर्मचारी एकता रंगमंच