Hemant Nagle
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Naresh Bhagoria
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27 Dec 2025
हर्षित चौरसिया, जबलपुर।
वेटरनरी यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ वाइल्ड लाइफ सेंटर में पदस्थ सीनियर बायोलॉजिस्ट डॉ. केपी सिंह ने बताया कि जंगली भैंसा फारेंज सक्सेशनल यानी जंगल में घास को सही आकार लाने में बड़ी भूमिका निभाता है। जब यह लंबी घास को चरता है तभी छोटे शाकाहारी वन्यजीव घास को अपना भोजन बना पाते हैं। डॉ. सिंह ने बताया कि1980 में कान्हा के बालाघाट जिले से लगे जंगलों में करीब 30-35 जंगली भैंसे थे। डॉ. सिंह के मुताबिक, वाइल्ड बफेलो के कुनबे का नेतृत्व मादा करती है। इन ब्रीडिंग की समस्या के चलते भैंसों के बच्चे जंगल में जीवत नहीं बचे। अच्छे साथी की तलाश में वाइल्ड बफेलो छत्तीसगढ़ और वहां से उड़ीसा की तरफ बढ़ गए।
कान्हा टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर रविंद्र मणि त्रिपाठी का कहना है कि यह पहल वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की उस विस्तृत स्टडी पर आधारित है, जिसमें यह पुष्टि हुई थी कि यहां का माहौल वाइल्ड बफेलो के रहने और पनपने के लिए पूरी तरह अनुकूल है।