Aniruddh Singh
7 Oct 2025
मुंबई। बजाज फाइनेंस के शेयरों ने 2025 में अब तक 30% से अधिक की बढ़त दर्ज की है। निवेशकों की नजर इस पर है कि क्या यह स्टॉक ₹1,000 का स्तर पार कर पाएगा। इसके पीछे दो मुख्य कारण हैं पहला, उपभोक्ता वस्तुओं पर संभावित जीएसटी कटौती और दूसरा, भारत की क्रेडिट रेटिंग में लगभग दो दशक बाद हुआ सुधार। इन दोनों वजहों के चलते कंपनी को न केवल सस्ते ऋण की सुविधा मिलेगी बल्कि ईएमआई घटने से उपभोक्ता मांग भी तेज होगी। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह रुझान कायम रहा तो बजाज फाइनेंस का शेयर नई ऊंचाई को छू सकता है। सबसे अहम पहलू है कंज्यूमर ड्यूरेबल्स पर जीएसटी में कमी। प्रस्तावित जीएसटी सुधार में सरकार छोटे वाहनों पर जीएसटी दर को 28% से घटाकर 18% करने का प्रस्ताव है। साथ ही बीमा प्रीमियम पर जीएसटी की दर 5% या फिर शून्य तक ले आती है, तो इससे आम उपभोक्ता की जेब पर बोझ बहुत घट जाएगा। नतीजतन, ईएमआई भी सस्ती होगी और मांग बढ़ेगी। बाजाज फाइनेंस जैसे एनबीएफसी को इससे सीधा फायदा होगा, क्योंकि इस कंपनी का बड़ा मुनाफा उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं की फाइनेंसिंग से आता है। अधिक मांग का मतलब है अधिक ऋण वितरण और उससे लाभ में बढ़ोतरी।
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दूसरा पहलू है रेटिंग में सुधार। एसएंडपी ग्लोबल ने भारत की रेटिंग बीबीबी माइनस से बढ़ाकर बीबीबी कर दी है, जो 18 साल बाद हुआ है। इसका मतलब है कि भारत अब अधिक भरोसेमंद बाजार माना जा रहा है। वित्तीय कंपनियों के लिए यह इसलिए सकारात्मक है क्योंकि वे विदेशों से कम ब्याज दर पर पूंजी जुटा पाएंगी। बाजाज फाइनेंस के लिए अनुमान है कि इसकी ऑफशोर बॉरोइंग की लागत 15–20 आधार अंकों तक घट सकती है। इससे न केवल इसके उपभोक्ता ऋण कारोबार को बल मिलेगा बल्कि इसके हाउसिंग फाइनेंस कारोबार का विस्तार भी अधिक लाभकारी सिद्ध होगा। तकनीकी दृष्टि से भी स्टॉक ने सकारात्मक संकेत दिए हैं। यह शेयर अपने कई महत्वपूर्ण मूविंग एवरेज से ऊपर चल रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि ₹850 का स्तर मजबूत सपोर्ट है और ₹930–950 के बीच मजबूत रेजिस्टेंस है। यदि यह स्तर पार हो जाता है तो अगला लक्ष्य ₹1,000 से ऊपर हो सकता है। तकनीकी विश्लेषकों का मानना है कि शेयर ने लंबे समय के बाद एक स्थिर आधार बनाया है और वॉल्यूम के साथ इसकी रिकवरी बुलिश संकेत देती है।
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कुछ विश्लेषक इसे धीरे-धीरे खरीदने की रणनीति अपनाने की सलाह दे रहे हैं, ताकि लंबी अवधि में अच्छे रिटर्न हासिल किए जा सकें। फंडामेंटल्स भी बहुत अच्छे हैं। जीएसटी कटौती से उपभोक्ता वस्तुएं सस्ती होंगी और उनकी मांग बढ़ेगी, जिससे ऋण वितरण की गति और पोर्टफोलियो का आकार बड़ा होगा। वहीं विदेशों से सस्ते कर्ज मिलने पर कंपनी की मार्जिन स्थिति मजबूत होगी और लाभप्रदता सुधरेगी। इसके अलावा, उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं के साथ-साथ आवास ऋण और असुरक्षित खुदरा ऋणों में भी सुधार की संभावना है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि 2026 तक बाजाज फाइनेंस की कमाई पर इन सुधारों का ठोस असर दिखेगा। खासकर यदि सरकार ज्यादातर वस्तुओं और सेवाओं को 5% और 18% जीएसटी स्लैब में ले आती है, तो मांग में व्यापक बढ़ोतरी होगी। वित्तीय बाज़ार में यह उम्मीद भी बढ़ी है कि दिवाली तक सरकार नए जीएसटी सुधारों की घोषणा करेगी, जिससे उपभोक्ता मांग और कंपनियों की आय दोनों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। एक तरफ घरेलू सुधार और दूसरी तरफ वैश्विक स्तर पर भारत की बेहतर छवि। यदि कंपनी के शेयर सपोर्ट स्तरों पर टिके रहते हुए रेजिस्टेंस को पार कर लेती है, तो यह स्टॉक न ₹1,050 तक पहुंच सकता है। आने वाले महीनों में जीएसटी सुधारों और विदेशी पूंजी की लागत पर निर्भर करेगा कि यह शेयर निवेशकों को कितनी ऊँचाई तक लाभ दिला पाता है।