Aniruddh Singh
26 Sep 2025
Aniruddh Singh
25 Sep 2025
Aniruddh Singh
25 Sep 2025
सिंगापुर। एशियाई शेयर बाजारों में गुरुवार को सुस्ती देखने को मिली। इसका मुख्य कारण वॉल स्ट्रीट में आई कमजोरी रही, जहां लगातार दूसरे दिन शेयरों में गिरावट दर्ज की गई। अमेरिका के तकनीकी शेयरों में बिकवाली तेज रही, जिससे निवेशकों की चिंता बढ़ गई कि ऊंचे मूल्यांकन कहीं जोखिम न बन जाएं। इसके साथ ही अमेरिकी फेडरल रिजर्व की आगे की नीतियों को लेकर भी अनिश्चितता बनी हुई है। निवेशक अब अमेरिका से आने वाले महत्वपूर्ण आर्थिक आंकड़ों पर ध्यान केंद्रित किए हुए हैं। गुरुवार को साप्ताहिक बेरोजगारी और दूसरी तिमाही की जीडीपी का अंतिम आंकड़ा जारी होने वाला है। वहीं शुक्रवार को फेड का पसंदीदा मुद्रास्फीति संकेतक, पर्सनल कंजम्प्शन एक्सपेंडिचर (पीसीई) प्राइस इंडेक्स आने वाला है।
इन आंकड़ों से यह संकेत मिलने की संभावना है कि इस साल फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में और कटौती करेगा या नहीं। यही वजह है कि एशियाई बाजारों में निवेशकों की चाल सतर्क बनी हुई है और ट्रेडिंग में उतार-चढ़ाव जारी है। कुल मिलाकर एशियाई बाजार इस समय दोहरी चुनौती का सामना करते दिखाई दे रहे हैं। एक ओर अमेरिकी बाजार की कमजोरी और फेडरल रिजर्व की नीतियों को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है, वहीं दूसरी ओर जापान के केंद्रीय बैंक की ओर से संभावित दर वृद्धि की संभावना भी निवेशकों को चौकन्ना कर रही है। आने वाले दिनों में अमेरिकी आर्थिक आंकड़े और बीओजे की आगे की नीति बाजारों की दिशा तय करेंगे।
जापान का निक्केई गुरुवार को 225 मामूली 0.1% की बढ़त के साथ बंद हुआ, जबकि व्यापक टॉपिक्स इंडेक्स 0.4% चढ़ा। चीन का सीएसआई 300 इंडेक्स 0.8% ऊपर गया और शंघाई कम्पोजिट भी हल्की बढ़त पर रहा। हांगकांग का हैंगसेंग सूचकांक 0.3% चढ़ा। ऑस्ट्रेलिया का एसएंडपी/एएसएक्स 200 सूचकांक 0.1% बढ़ा, लेकिन सिंगापुर का स्ट्रेट्स टाइम्स इंडेक्स 0.3% टूट गया। दक्षिण कोरिया के कोस्पी में भी 0.1% गिरावट देखने को मिली। भारत का सेंसेक्स और निफ्टी 50 भी गिरावट में ट्रेड कर रहे हैं। जापान में निवेशकों का ध्यान बैंक ऑफ जापान (बीओजे) की जुलाई बैठक की कार्यवाही यानी मिनट्स पर रहा। इन मिनट्स से पता चला कि कुछ नीति-निर्माता भविष्य में ब्याज दरें बढ़ाने के पक्ष में हैं।
इसका मतलब यह है कि बोर्ड के अंदर राय बंटी हुई है। हाल की बैठक में बीओजे ने अल्पकालिक ब्याज दरें 0.5% पर ही रखीं और साथ ही यह संकेत दिया कि वह एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स और रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट्स की खरीद को धीरे-धीरे कम करेगा। हालांकि, बोर्ड के दो सदस्यों ने असहमति जताते हुए दर को 0.75% तक बढ़ाने की मांग की। इन मिनट्स से बाजार में यह धारणा बनी कि जापान का केंद्रीय बैंक धीरे-धीरे कठोर रुख की ओर बढ़ रहा है। यानी अब वह लंबे समय तक ढीली मौद्रिक नीति बनाए रखने की बजाय धीरे-धीरे दरों को ऊपर ले जाने की संभावना पर विचार कर रहा है। हालांकि वैश्विक विकास दर को लेकर अभी भी चिंताएं बनी हुई हैं और यही वजह है कि बीओजे जल्दबाजी में कोई बड़ा कदम नहीं उठाना चाहता।